लखनऊ: पुश्तैनी जगह गई और आठ लाख रुपये भी, जानिए क्या है मामला  

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Published By Jagat Mishra
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अमृत विचार, लखनऊ। एक परिवार के लोगों की पुश्तैनी जगह अधिग्रहित कर ली गई। उसकी एवज में मुआवजा नहीं मिला। समायोजन के नाम पर आठ लाख रुपये ले लिए। बाद में समायोजन गलत बताकर एलडीए ने पल्ला झाड़ लिया। तब से पीड़ित चक्कर लगा रहे हैं।

मंगलवार को नागरिक सुविधा दिवस में मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार, उपाध्यक्ष लविप्र डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के साथ जन सुनवाई की। इस दौरान गुडंबा थाना क्षेत्र के पहाड़पुर से रहीशा बानो व रियाज पहुंचे। उन्होंने मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब से बताया कि दोनों परिवार के हैं। ढाई बिस्वा पुश्तैनी जमीन थी। जिसमें कुछ हिस्से में मकान बना था। पूरी जगह एलडीए ने किसी योजना के तहत अधिग्रहित कर दूसरे को आवंटित कर दी और कब्जा दे दिया। इससे वह बेघर हो गए और मुआवजा तक नहीं मिला। इधर, चार साल पहले इस मामले पर समायोजन करने पर समझौता हुआ था। जिसमें अधिग्रहित जगह का आधा हिस्सा देने की बात हुई। जिसकी एवज में विकास शुल्क, सीवर व अन्य शुल्क समेत आठ लाख रुपये एलडीए में जमा किए। 50 हजार ब्याज भी दिया। लेकिन बाद में समायोजन गलत बताकर जगह देने से इंकार कर दिया। इधर, मकान भी तोड़ दिया गया। अब रुपये वापसी की बात कही जा रही है। इस पर मंडलायुक्त ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। 

वहीं, दूसरी शिकायत रजनीश कुमार चाैबे निवासी जानकीपुरम सेक्टर एच ने की। बताया कि एलडीए के एक बाबू के माध्यम से 2001 में मकान खरीदा था। रजिस्ट्री का एग्रीमेंट कराकर पूरे रुपये ले लिए। बाद में 70 हजार और मांगे, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई। वहीं, सेक्टर-जे जानकीपुरम् से आए अनिल कुमार ने बताया कि पत्नी विमला के नाम 1991 में आश्रयहीन योजना के तहत मकान खरीदा था, जिसकी रजिस्ट्री नहीं हो रही है। इस दौरान 80 शिकायतों में 16 प्रकरणों का मौके पर निस्तारण किया गया।

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