लोकतंत्र के समक्ष उत्पन्न खतरा, होगा निपटना देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ही: कांग्रेस 

लोकतंत्र के समक्ष उत्पन्न खतरा, होगा निपटना देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ही: कांग्रेस 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संस्थाओं पर हमले एवं उनकी डराने-धमकाने की राजनीति से देश के लोकतंत्र के समक्ष जो ख़तरे उत्पन्न हुए हैं,’ उनसे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्वयं ही निपटना होगा।

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पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह टिप्पणी उस वक्त की है, जब राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने पर ‘संज्ञान लिए जाने के लिए’ जर्मनी के विदेश मंत्रालय का कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने धन्यवाद किया है। सिंह की टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधा है।

रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस का स्पष्ट तौर पर मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संस्थाओं पर हमले एवं उनकी डराने धमकाने की राजनीति से हमारे लोकतंत्र के समक्ष जो ख़तरे उत्पन्न हुए हैं, उनसे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को स्वयं ही निपटना होगा। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां निडरता से उनका मुक़ाबला करेंगी।’’

कांग्रेस नेता सिंह ने जर्मनी के विदेश मंत्रालय और डॉयचे वेले के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वॉकर को राहुल गांधी के उत्पीड़न के जरिए भारत में लोकतंत्र से समझौता करने का संज्ञान लेने के लिए धन्यवाद दिया था। सिंह ने वाकर का एक ट्वीट टैग किया, जिसमें राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता से अयोग्यता पर प्रतिक्रिया देते हुए जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का एक वीडियो है।

साथ ही उन्होंने लिखा, ‘‘राहुल गांधी को परेशान करके भारत में लोकतंत्र से समझौता किया जा रहा है और इसका संज्ञान लेने के लिए जर्मनी के विदेश मंत्रालय तथा डॉयचे वेले के मुख्य अंतरराष्ट्रीय संपादक रिचर्ड वाकर का शुक्रिया।’’ जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘हमने भारत में विपक्षी नेता राहुल गाधी के खिलाफ फैसले और उनकी संसदीय सदस्यता निलंबित किए जाने का संज्ञान लिया है।’’

प्रवक्ता के हवाले से कहा गया, ‘‘हमारी जानकारी के मुताबिक, गांधी फैसले को चुनौती दे सकते हैं। तब यह स्पष्ट होगा कि क्या यह फैसला टिक पाएगा और क्या निलंबन का कोई आधार है?’’ प्रवक्ता ने कहा कि जर्मनी को उम्मीद है कि ‘राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही पर न्यायिक स्वतंत्रता के मानक और मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत’ समान रूप से लागू होंगे।

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