निकाय चनाव: मंडल का बहाना कमंडल पर निशाना, योगी की मुश्किलें बढ़ाने को अखिलेश ने गढ़ी रणनीति
- बीपी मंडल की 13 अप्रैल को जिलों में श्रद्धांजलि सभा व गोष्टी
- कानपुर में आ सकते हैं शिवपाल, सभी जिलों में बड़े नेता जाएंगे
- पिछड़ों की गिनती हो, संख्या तो है भारी पर कहां है हिस्सेदारी
महेश शर्मा/कानपुर, अमृत विचार। समाजवादी पार्टी ने यूपी निकाय चुनाव में पिछड़ी जाति का पत्ता चलने की तैयारी में है। पिछड़ी जातियों की गणना को मुद्दा बनाने के साथ ही ओबीसी की छूटी जातियों को आरक्षण के दायरे में लाने को आंदोलनरत है। सामाजिक न्याय और पिछड़ों के हितों को कानूनी जामा पहनाने के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट देने वाले बीपी मंडल की 13 अप्रैल को 42वीं पुण्यतिथि सपा पूरे प्रदेश में मनाएगी। इसके लिए कानपुर समेत सभी 75 जिला इकाइयों को निर्देश पत्र जारी कर दिया गया है। इस अवसर पर पिछड़ों की गणना और आबादी के अनुपात विषयक गोष्ठियां समाजवादी पार्टी आयोजित करेगी। जिलों में वरिष्ठ नेता भेजे जाएंगे। सपा के जिलाध्यक्ष के अनुसार कानपुर राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के आने की संभावना है।
समाजवादी पार्टी यूपी के निकाय चुनाव को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल के रूप में देख रही है। सपा अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव वरिष्ठ सपाइयों संग बैठक करके बीपी मंडल पुण्यतिथि मनाने का निर्णय लिया है। जिला इकाइयों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के हस्ताक्षर से जारी इस निर्देश में स्वर्गीय बीपी मंडल को श्रद्धांजलि के साथ ही सामाजिक न्याय और पिछड़ों की गणना पर गोष्ठियां करने की बात लिखी गयी है। ये श्रद्धांजलि सभा और गोष्ठियां जिला, विधान सभा क्षेत्र व ब्लाक स्तर आयोजित होंगी।
सपा कानपुर के अध्यक्ष फजल महमूद का कहना है कि बीपी मंडल ने समाज के गरीब, कमजोर, पिछड़े वर्गो के संवैधानिक अधिकारों को दिलाने वाली रिपोर्ट तैयार की थी। वह पिछड़ों, वंचितों को सोशल जस्टिस के अलंबरदार हैं। उन्हीं की रिपोर्ट लागू होने के बाद पिछड़ों को 27 फीसदी आरक्षण मिला है। अब यह आबादी यूपी में जनसंख्या के अनुपात के हिसाब ज्यादा हो गयी है। आबादी का सही आंकड़ा सरकार के पास नहीं है। सपा पिछड़ों की गणना की मांग काफी पहले से उठा रही है।
ओबीसी वोटरों को लुभाने की कवायद
सपा एक तरफ पिछड़ी जाति गणना की मांग उठाकर राजनीतिक पत्ता चला है तो भाजपा जिला स्तर पर ओबीसी सम्मेलन करके सपा का दांव का तोड़ निकाल रही है। सपा गोष्ठी और आंदोलन के जरिए लोगों को बता रही है कि जिसकी जितनी संख्या भारी उतनी उसकी हिस्सेदारी। इसलिए पिछड़ों की गणना जरूरी है। निकाय चुनाव के घोषणा पत्र में सपा जाति गणना का मुद्दा रखेगी। वादा करेगी कि उसकी सरकार आती है तो गणना करायी जाएगी।
जानिये कौन हैं बीपी मंडल
बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त 1918 को बनारस में हुआ था। वे जाने-माने अधिवक्ता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रासबिहारी मंडल व श्रीमती स्वर्गीय सीतावती मंडल की सातवीं संतान थे। इनका बचपन बिहार राज्य के मधेपुरा के मुरहो गांव में बीता। मंडल ने बिहार की मधेपुरा से चुनाव लड़ा और ये इस सीट से 1967 से 1970 और 1977 से 1979 तक सांसद रहे थे। जनता पार्टी के शासनकाल में बीपी मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया और इसे भारत के सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के हितों के विषय में रिपोर्ट तैयार करने का कार्य सौंपा गया था। इस कमीशन का गठन साल 1978 में किया गया था और इस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 1980 में तैयार की थी। 13 अप्रैल 1982 को बीपी मंडल का निधन हो गया था।
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