पीलीभीत: जिंदा इंसान को मरा बताकर बनवाया मृत्यु प्रमाण पत्र, पालिका कर्मी निलंबित

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Published By Moazzam Beg
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पीलीभीत, अमृत विचार। शासन भले ही सरकारी सिस्टम को कितना भी हाईटेक कर ले लेकिन फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर शहर की नगर पालिका से एक अजीबो गरीब कारनामा सामने आया है। जहां नगर पालिका में कार्यरत एक कर्मचारी के शपथ पत्र के आधार पर जिंदा व्यक्ति को सरकारी कागजों में मरा करार देते हुए उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया। जब तहसील से इस मामले में आपत्ति लगाते हुए उसके लापता होने की जानकारी पालिका को दी तो खलबली मच गई। मामला संज्ञान में आने के बाद जब जांच कराई गई तो मामला सही पाया गया। इस पर पालिकाओं के द्वारा खुद के कर्मचारी पर विभाग को गुमराह करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

शहर के मोहल्ला बशीर खां निवासी नईम पुत्र अब्दुल सईद के परिवार की ओर से नगर पालिका में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अप्रैल 2017 में आवेदन किया था। जिसमें नगर पालिका में बेलदार के पद पर कार्यरत महिला कर्मचारी नूर बानो के द्वारा गवाह के रूप में एक शपथ पत्र भी प्रस्तुत किया। जिसमें महिला कर्मचारी ने नईम पुत्र अब्दुल शहीद की मौत में शामिल होने का हवाला देते हुए उनकी मृत्यु दिनांक 22 मार्च 2017 का उल्लेख किया था। अपने ही कर्मचारी की ओर से शपथ पत्र आने पर पटल पर जमे कर्मचारियों ने सांठगांठ के चलते उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। 

मृतक दर्शाए गए नईम का सदर तहसील से कराए गए सर्वे में पता चला कि वह बीते सात  सालों से लापता है और देहरादून में रहकर नौकरी कर रहा है। जहां से वह अभी तक वापस नहीं आया है। जिंदा युवक का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का मामला संज्ञान में आने के बाद नगर पालिका अफसरों और कर्मचारियों में खलबली मच गई। इस मामले में नगर पालिका ईओ की ओर से शपथ पत्र देने वाली कर्मचारी नूर बानो को नोटिस जारी करते हुए लिखित स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए थे। लेकिन उनकी ओर से कोई भी जवाब दाखिल नहीं किया गया।

क्योंकि मामला सांठगांठ से जुड़ा था इसलिए अन्य कर्मचारियों और अफसरों ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान नहीं लिया। सिर्फ 26 दिसंबर 2022 को ही उसे एक नोटिस देकर छोड़ दिया गया। ईओ पूजा त्रिपाठी ने मामला संज्ञान में आते ही पटल सहायक से जांच करवाई। जांच में मामला सही पाए जाने पर विभाग के साथ झूठ बोलने वाली महिला कर्मचारी को निलंबित कर दिया है। साथ ही फर्जी तरीके से बनवाए गए मृत्यु प्रमाण पत्र को भी निरस्त कर दिया है।

तहसील की सूचना पर हुआ था खुलासा
जिंदा युवक नईम का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के मामले में तहसीलदार की भूमिका महत्वपूर्ण रही। तहसीलदार ने जब जांच कराई तो पता चला कि नईम बीते 7 वर्षों से घर से लापता है। वह घर से देहरादून नौकरी जाने की बात कहकर निकला था। ऐसे में परिवार वालों ने उसका फर्जी प्रमाण पत्र जारी कराने के लिए नगर पालिका में आवेदन किया था। अगर, तहसीलदार के द्वारा नगर पालिका को इसकी सूचना नहीं दी गई होती तो शायद एक जिंदा युवक का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गया होता।

आवेदन करने वाले फल एफआईआर कराने की तैयारी
नगर पालिका में जिंदा युवक का मृत्यु सर्टिफिकेट बनवाने के मामले में महिला कर्मचारी को फर्जी शपथ पत्र देने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। वहीं आवेदन करने वाले युवक के खिलाफ भी नगर पालिका ने एफआईआर की तैयारी करना शुरू कर दी है। इस मामले में नगर पालिका ईओ, तहसीलदार और एसडीएम समेत कुछ अफसरों से वार्ता करने के बाद युवक के खिलाफ एफआईआर करवाई जाएगी।

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने के मामले में पालिका में तैनात महिला कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध रही। उसने अपने ही विभाग को गुमराह करते हुए एक जिंदा युवक का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करवाने के लिए शपथ पत्र दिया था। पुनः जांच में युवक के जिंदा होने की जानकारी मिलने पर महिला कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है। प्रमाण पत्र को भी निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। - पूजा त्रिपाठी, ईओ।

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