रामपुर: स्वार विधानसभा क्षेत्र में इस बार आजम न नवाब परिवार, स्थानीय प्रत्याशियों में होगी ‘वार’  

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Published By Vikas Babu
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अब्दुल्ला के छह वर्ष को चुनाव लड़ने पर रोक का रहा पेंच तो नूरमहल के हमजा मियां का अपना दल एस ने काटा टिकट

रामपुर, अमृत विचार। स्वार विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के बाद इस बार आजम खां या नवाब परिवार से नुमाइंदगी नहीं होगी। क्योंकि दोनों ही परिवारों से कोई मैदान में नहीं है। अब्दुल्ला की विधायकी जाने के कारण छह वर्ष के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लग चुकी है इसलिए यह मैदान में नहीं उतर सके। वहीं नूरमहल यानी नवाबों के वंशज काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां के बेटे हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां का इस बार अपना दल एस ने टिकट काट दिया।

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हालांकि हमजा मियां दूसरे स्थान पर रहे थे, फिर भी टिकट काटकर स्वार के पूर्व चेयरमैन शफीक अंसारी को थमा दिया गया। वैसे तो आजम खां ने स्वार सीट अपने बेटे अब्दुल्ला को सुरक्षित करने के लिए राजनीति के मैदान में उतारा था, अब्दुल्ला की भी शायद यही सोच थी कि अपने पिता की तरह हमेशा के लिए स्वार सीट उनकी अपनी सालों साल तक बनी रहेगी, लेकिन मंशा पूरी नहीं हो सकी। 

स्वार विधान सभा क्षेत्र बहुत अभागा है। 2017 के चुनाव में जीते अब्दुल्ला की विधायकी जन्म प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने पर चली गई थी, तो 2022 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल्ला जीते तो मुरादाबाद के छजलैट प्रकरण में दो साल की सजा होने के कारण विधायकी चली गई।

साथ ही छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लागू हो गया था। यह बात अलग है कि दोनों बार अब्दुल्ला ने 55 से 61 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। अब स्वार में होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव में आजम खां के परिवार से कोई मैदान में नहीं है। इसी तरह से नूरमहल यानी नवाब परिवार से भी इस बार कोई मैदान में नहीं है। नवाबों के वंशज नवेद मियां पहले स्वार से चार बार विधायक रह चुके हैं।

विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बेटे हैदर अली उर्फ हमजा मियां को स्वार सीट से भाजपा गठबंधन के अपना दल एस से मैदान में उतारा था। शायद यह मंशा रही होगी कि एक बार हमजा जीते तो सीट हमेशा के लिए बरकरार रहेगी। लेकिन अपना दल एस ने उनकी उम्मीदों पर उपचुनाव में पानी फेर दिया। हमजा मियां का टिकट काटकर स्वार के पूर्व चेयरमैन शफीक अंसारी को थमा दिया है। इस तरह से नूरमहल भी स्वार उपचुनाव से बाहर हो गया। अब यह तय है कि स्वार में उपचुनाव के बाद इन दो परिवारों के बीच नुमाइंदगी नहीं रहेगी।

हमेशा बाहरी ‘माननीय’करते रहे हैं स्वार सीट पर कब्जा
स्वार विधानसभा क्षेत्र के लोगों की किस्मत ऐसी है कि उनके ऊपर हमेशा बाहरी लोग राज करते रहे। शिव बहादुर सक्सेना लंबे समय से जिले की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। शिव बहादुर स्वार विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार भाजपा के विधायक चुने गए।

कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में शहर में आजम खां के मुकाबले वह पहली बार चुनाव लड़े और हार गए थे। इसी तरह से नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां भी स्वार विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे। एक बार मायावती सरकार में मंत्री भी रहे। आजम खां के बेटे अब्दुल्ला के मुकाबले वे 2017 में बसपा से चुनाव में उतरे तो चुनाव हार गए। तब उन्हें तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। भाजपा से लक्ष्मी सैनी दूसरे स्थान पर रही थीं।

इस बार सभी प्रत्याशी स्थानीय
स्वार विधानसभा उपचुनाव में पहली बार ऐसा मौका सामने आया है जब सभी प्रत्याशी स्थानीय मैदान में डटे हैं। भाजपा गठबंधन के अपना दल एस से शफीक अंसारी को मैदान में उतारा है जोकि स्वार से पूर्व चेयरमैन रह चुके हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने सरकथल गांव की प्रधान रह चुकीं अनुराधा चौहान को मैदान में उतारा है। अनुराधा इस समय जिला पंचायत सदस्य हैं। पीस पार्टी ने डा. नाजिया सिद्दीकी को मैदान में उतारा है जोकि साजिद अली की पत्नी हैं, साजिद अली पहले बसपा में रह चुके हैं और स्वार क्षेत्र के ग्राम अलीनगर उत्तरी के रहने वाले हैं। 

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