Bareilly: महानगर कॉलोनी की फिर वही कहानी, नहीं चुन सकेंगे पार्षद और मेयर

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Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। शहर की सबसे पुरानी और पॉश कॉलोनी होने के बाद भी महानगर कॉलोनी आज भी नगर निगम में शामिल नहीं हो सकी है, जबकि महानगर के आसपास बसे क्षेत्र नगर निगम सीमा क्षेत्र में काफी पहले ही शामिल हो चुके हैं। बीडीए ने भी यहां विकास कराने से हाथ खड़े कर दिए। ग्राम पंचायत धौरेरा माफी में आने वाली इस कॉलोनी में विकास के लिए कोई फंड नहीं है। कई बार जनप्रतिनिधियों से इसको नगर निगम में शामिल किए जाने की मांग की, अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद आज तक केवल यहां रहने वालों को केवल अश्वासन मिला है। इस बार भी यहां के लोग निकाय चुनाव में महापौर को नहीं चुन सकेंगे। 

यहां करीब ढाई हजार घरों के लोगों को बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए खुद ही रकम एकत्र कर खर्च करनी पड़ रही है। नेताओं की बार-बार वादाखिलाफी से नाराज होकर कॉलोनी के लोग बीते विधानसभा चुनाव में मतदान न करने की घोषणा कर चुके थे। उन्हें सांसद व पूर्व मंत्री संतोष गंगवार ने मनाया, तब जाकर उन लोगों ने मतदान किया था।

वर्ष 2002 में निजी बिल्डरों ने महानगर कॉलोनी को विकसित किया था। इसका ज्यादातर हिस्सा ग्राम पंचायत धौरेरा माफी में शामिल है। करीब दो दशक बीत जाने के बाद भी यह कॉलोनी नगर निगम क्षेत्र में शामिल नहीं हो सकी है। कॉलोनी को शहरी सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव कई बार भेजा जा चुका है, लेकिन इसकी फाइल शासन में जाते ही डंप हो जाती है। यहां की ज्यादातर सड़कें खस्ताहाल हैं। गड्ढे होने के साथ उनकी बजरी भी उखड़ गई है। पानी की आपूर्ति के लिए ट्यूबवेल के रखरखाब और बिजली के बिल का खर्च, सफाई व्यवस्था आदि का काम नगर निगम नहीं करा रहा।

ऐसे में लोगों को हर महीने निर्धारित रकम जमा करके फंड एकत्र करना पड़ रहा है। इसी धनराशि से सड़कों की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट को ठीक कराने, पानी आपूर्ति सहित दूसरी जन सुविधाएं, जो सरकारी संस्था को करना चाहिए, उसके लिए कॉलोनी के लोगों को अपनी जेब से रकम खर्च करनी पड़ रही है। बुनियादी जरूरतों के लिए बाशिंदे तरस रहे हैं।

नेता बार-बार कॉलोनी को नगर निगम में शामिल करने और शहर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा हर चुनाव में करते हैं, लेकिन चुनाव बीतने के साथ ही जनप्रतिनिधि इस मुद्दे से मुंह फेर लेते हैं। कॉलोनी के लोगों की माने तो उन लोगों के द्वारा बनाई गई सस्था के जरीए सबसे ज्यादा खर्च करीब पांच लाख रुपये उन्हें विद्युत बिल के देने पड़ते हैं। अगर उनकी कॉलोनी नगर निगम में शामिल होता है तो उनका यह सारा खर्च बच जाएगा और कालोनी के अन्य विकास कार्य में इसे लगाया जा सकेगा।

राजनीति में उलझी कॉलोनियां कई नेता नहीं चाहते नगर निगम में हों शामिल 
शहर की महानगर कॉलोनी समेत करगैना व दोहरा आदि कॉलोनी को कई नेता नहीं चाहते की वह नगर निगम में शामिल किया जा सके। क्योंकि शहर में यहां के वोटर शामिल होते ही इनके वोट ग्राम पंचायत से कटजाएंगे। जिसका कई नेताओं को भारी नुकसान होगा। वह नहीं चाहते कि कॉलोनियों को नगर निगम में शामिल किया जा सके। इसलिए यह कॉलोनी लंबे समय से नगर निगम में शामिल नहीं हो सकी है।

कमिश्नर ने दिया आश्वासन
महानगर कॉलोनी के लोग कई बार कॉलोनी को नगर निगम में शामिल करने के लिए नगर निगम के चक्कर काट चुके है। वह नगर आयुक्त से लेकर कमिश्नर तक अपनी इस समस्या को बता चुके हैं। कमिश्नर ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी कॉलोनी जल्द ही नगर निगम में शामिल की जाएंगी। हालांकि इसकी फाइल ऊपर तक जा चुकी है। कहने को शहर की सबसे पास कॉलोनी, नसीब में नहीं महानगर कॉलोनी के लोगों को महापौर चुनना

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