अमेठी : कभी जेसीबी तो कभी मजदूरों से खुदाई करवाकर बेंची जा रही तालाब की मिट्टी..
अमृत विचार, अमेठी । जिले की ग्राम पंचायतों में बने जल संचयन के लिए आदर्श तालाबों में इन दिनो पंचायत पदाधिकारियों से मिलकर मिट्टी निकाल कर बेचने का काम धडल्ले से चल रहा है और जिम्मेदार अपनी आंखें मूंद बैठे हैं। गर्मी के दिनो में अक्सर तालाब में पानी नहीं रहता है। वहीं पानी न रहने से जानवरो को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। मगर जिले के 90 फीसदी चाहे वह अमृत सरोवर हो या फिर आदर्श तालाब सभी सूखे पड़े हैं।
तालाब में पानी न होने की वजह से खनन माफिया कभी जेसीबी मशीन तो कभी मजदूरों को लगाकर मिट्टी निकाल कर जरूरतमंदों को बेंच दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि तालाब से मिट्टी निकालने के बदले जनप्रतिनिधियों द्वारा ट्रैक्टर चालकों से प्रति ट्रिप 20 से 50 रुपए लिया जाते हैं। ट्रैक्टर चालक तालाब की मिट्टी को बाजार में अधिक कीमतों में बेच कर अपनी जेब भरने में लगे हैं। तालाबों की मिट्टी गांवों में हो रहे निर्माण के प्लाटों में भराई के काम आ रही है। इसी का फायदा उठाकर गांव के कुछ बिचौलिए मिलकर तालाब से बेखौफ होकर मिट्टी निकलवा रहे हैं और उसको औने पौने दाम में बेच कर अपना जेब भर रहे हैं। मिट्टी खनन माफियाओं के द्वारा जेसीबी मशीन लगाकर मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे राजस्व का नुकसान हो रहा है।
जन प्रतिनिधियों की मिलीभगत से होता है खनन
ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र में खनन माफिया पंचायत के जन प्रतिनिधियों की मिलीभगत से मिट्टी का अवैध खनन करते हैं। जिन तालाबों में जेसीबी मशीन चलती है वह गांव के ही बगल की होती है। जेसीबी मशीन वालों की तगड़ी सेंटिंग होने के कारण पुलिस भी उन पर हाथ नहीं डाल पाती है। इसी वजह से वह खुलेआम मिट्टी निकालकर ट्रैक्टर चालकों से रुपए ले रहे हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि खनन माफिया के पास मिट्टी उठाने का कोई भी परमिट नहीं है।
चार से पांच सौ रुपए प्रति ट्रैक्टर बिक रही मिट्टी
स्थानीय लोगों की माने तो आए दिन कहीं न कहीं किसी तालाब में मिट्टी के खनन का कारोबार चलता रहता है। गर्मियों के दिनों में लगातार मिट्टी का खनन अवैध रूप से जारी रहता है। रात में जेसीबी मशीन के द्वारा खनन कर दर्जनों ट्रैक्टर ट्रालियों से ढोया जाता है तो दिन में मजदूरों को लगाकर मिट्टी खोदकर ट्रैक्टरों की ट्राली में भरकर चार से पांच सौ रुपये प्रति ट्राली की दर से बेची जा रही है। जिससे राजस्व विभाग को हजारों रुपये की क्षति हो रही है। ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि खनन माफिया के पास मिट्टी उठाने का कोई भी परमिट नहीं है।
जल संचयन के लिए बनाए गए तालाब नहीं आ रहे काम
गिरते जल स्तर को रोकने के लिए आदर्श तालाबों की खुदाई की गई है। इससे ग्रामीणों को रोजगार मिलने के साथ ही जल संचयन की भी व्यवस्था की गई है। आदर्श तालाबों में पानी भरवाने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत पदाधिकारियों को सौंपी गई है। एकाध को छोड़कर किसी आदर्श तालाबों में पानी नहीं है। आदर्श तालाबों के सूखे रहने से जंगली जानवर व पशु पक्षियों को पानी पीने का संकट मंडराता रहता है। वहीं इसी तर्ज पर करोड़ो रूपये खर्च कर अमृत सरोवरों का निर्माण कराया गया है लेकिन धन के दोहन के चक्कर में योजनाएं धरातल पर आने से पहले ही मशीमरी तंत्र में उलझकर दम तोड़ रही है।
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