लखनऊ : गेहूं का आटा कर सकता है गंभीर बीमार, खाने के बाद लक्षणों को किया नजरअंदाज तो हो जायेगा लिवर खराब

 लखनऊ : गेहूं का आटा कर सकता है गंभीर बीमार, खाने के बाद लक्षणों को किया नजरअंदाज तो हो जायेगा लिवर खराब

लखनऊ, अमृत विचार। यदि बच्चा बार-बार थकान होने की बात कहता हो, पैदल चलने में दिक्कत हो रही है या फिर हड्डीयां कमजोर हों तो चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। यह कहना है डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट डॉ पीयूष उपाध्याय का। उन्होंने बताया कि यदि माता या फिर पिता को कमजोरी और थकान का अनुभव होता है। वहीं बच्चे को पेट दर्द या दस्त की शिकायत रहती हैं, बच्चे का कद छोटा है और वह भी थकान महसूस करता है। तो माता और पिता को सावधान हो जाना चाहिए। हो सकता है कि आपका लीवर और  आपके बच्चे का लिवर ठीक तरह से काम नहीं का रहा हो। इसके अलावा हड्डीयां कमजोर हो रही है,  जरा सा जोर अथवा झटका पड़ने पर ही टूट जाती हों तो सीलिएक बीमारी के हो सकते हैं शिकार ।

डॉ पीयूष उपाध्याय की माने तो इस बीमारी की जानकारी होने पर गेहूं जौ राई और ओट्स खाने से बचना चाहिए। इन चीजों में पाया जाने वाला प्रोटीन ग्लूटन सीलिएक बीमार का एक कारण होता है। उन्होंने बताया कि भारत में इस बीमारी से करीब 80 लाख (लगभग 1 प्रतिशत ) लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं उत्तर भारत में प्रति 100 में एक व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त है। सीलियक बीमारी ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जो आनुवंशिक समस्या है, जो बच्चों को भी अपना शिकार बना सकता है। 

डॉ पीयूष सीलिएक रोग में ग्लूटन वाले अनाज खाने से छोटी आंतों को नुकसान होता है। शरीर को पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं जिसके चलते कई बीमारियां और लक्षण सामने आते हैं। लक्षणों में कुछ पेट से संबंधित दस्त, पेट दर्द, पेट फूलना, उल्टी आदि शामिल है। इसके कारण शरीर का विकास न होना शरीर का वजन कम होना और कुछ अन्य अंगो से जुड़ी हुई बीमारियां होती हैं, जिसमें लिवर,हडि्डयों, दांत में एनोमिल की दिक्कत,अनीमिया (खून की कमी),बार-बार गर्भपात, शरीर में दाने कमजोरी आदि हो सकते हैं।

डॉ पीयूष उपाध्याय ने बताया कि एंटी टीटीजी टेस्ट व इंडोस्कोपी के जरिए बीमारी की स्थिति की जानकारी की जा सकती है। समय से इस बीमारी का इलाज शुरू होने से स्थिति को खराब होने से रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस रोग में आटा, ब्रेड, मिठाई, सूजी, केक, ओटस से बने खाद्य पदार्थ को भोजन के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जबकि, चावल, बेसन, दूध, दाल, इडली, सांबर, आलू, चाय, कॉफी, जैम, शहद का इस्तेमाल किया जा सकता है।

गेहूं की पैदावार वाले इलाके में पीड़ितों की संख्या अधिक 

डॉ. पीयूष ने बताया कि यह एक आनुवंशिक बीमारी है और करीब एक तिहाई जनसंख्या में इसका कारक जीन पाया जाता है। गेहूँ और ग्लूटन युक्त अनाजों का उपयोग करने से इनमे कुछ लोगों में सीलिएक बीमारी किसी भी उम्र में हो सकता है। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में गेहूँ का सेवन किया जाता है वहीं यह बीमारी पाई जाती है। देश के उत्तरी राज्यों में जहाँ गेहूँ का प्रयोग अधिक होता है,सीलिएक बीमारी से पीड़ित वहां ज्यादा पाये जाते हैं।

बच्चों में लक्षण

पेट में दर्द 
मतली, 
भूख की कमी,
उल्टी 
,दस्त,
चिड़चिड़ापन,
कम वृद्धि,
विलंबित यौवन,
पीली त्वचा,
ऐंठन,
मुंह के कोनों पर अल्सर का फट जाना,

वयस्कों के लक्षण

सूजन
गैसों
दस्त
वजन घटाने
कम भूख
थकान
पेट में दर्द
हड्डी का दर्द
व्यवहार में परिवर्तन
मांसपेशियों में ऐंठन
चक्कर आना,
त्वचा में लाल चकत्ते आना,
दंत की बीमारी,छूटी हुई माहवार
बांझपन

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