बरेली: 13 लाख के बिल को 45 हजार करने में टीसी समेत दो निलंबित, जानिए पूरा मामला

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Published By Vikas Babu
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नगर आयुक्त ने बैठाई थी जांच, अपर नगर आयुक्त ने जांच पूरी की

बरेली, अमृत विचार। नगर निगम में भारी टैक्स को हल्का करने में चल रही मिलीभगत की जांच में दोषी पाए जाने पर नगर आयुक्त ने टीसी और अनुचर को निलंबित करने की संस्तुति की है। मामले की जांच अपर नगर आयुक्त तृतीय कर रहे थे। अमृत विचार ने मार्च में इस खेल को उजागर किया था।

टैक्स को कम करने का खेल निगम में कई बरसों से चलता आ रहा है। राजेन्द्र नगर में एक व्यावसायिक संपत्ति पर 13 लाख रुपये का बिल बकाया था। संपत्ति मालिक ने निगम में बिल कम करने के काम में सक्रिय लोगों से संपर्क कर इसे 45 हजार का करवा लिया। बिल जमा भी हो गया। कुछ समय बाद उसी संपत्ति के नामांतरण की फाइल चली। इसकी फीस भी जमा कर दी गई और जब संपत्ति की वास्तविकता जांचने के लिए जोन-4 के राजस्व निरीक्षक मौके पर जांच को पहुंचे तो उन्हें संपत्ति का मूल्य ज्यादा लगा। तभी से यह प्रकरण खुलता गया और जांच शुरू हो गई।

सूत्रों ने बताया कि जांच में प्रकरण की पत्रावली देखी गई तो पता चला कि जिस पत्र के जरिए 13 लाख की रकम को 45 हजार किया गया था। उस पत्र पर राजस्व निरीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर बनाए गये थे। टीसी विशाल जौहरी ने जांच अधिकारी को बताया था कि इस मामले में जोन-4 के तत्कालीन जोनल अधिकारी ललतेश सक्सेना ने उन्हें फाइल को कम्प्यूटर आपरेटर को देकर उसे फीड कराने को दिया था।

ललतेश उनके अधिकारी थे इसलिए आदेश का पालन करना जरूरी था। जांच में पत्र की राइटिंग का मिलान किया गया तो वह किसी और द्वारा लिखवाई गई थी। पत्र में हस्ताक्षर फर्जी बनाए गए थे। इस प्रकरण की फाइल में अधिकांश कर्मचारियों के हस्ताक्षर ही फर्जी निकले थे। मामले में जोन-4 के तत्कालीन जोनल अधिकारी ललतेश सक्सेना से भी पूछताछ की गई। उन्होंने इस मामले में किसी तरह का मतलब होने से इंकार कर दिया। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद नगर आयुक्त ने टीसी विशाल जौहरी और अनुचर सोमनाथ को निलंबित करने की संस्तुति की है।

निगम में एक कमरे में होती है अफसरों के हस्ताक्षर बनाने की प्रैक्टिस
इस प्रकरण की जांच के दौरान कई कर्मचारियों से पूछताछ की गई। इसी दौरान एक कर्मचारी ने अफसरों को बताया कि निगम में एक अफसर के कमरे में निगम के ही अन्य अफसरों के हस्ताक्षर बनाने की प्रैक्टिस की जाती है। निगम में तैनात उस अफसर को जब अपने फर्जी हस्ताक्षर बनाने की बात पता चली है तब से वह भी सतर्क हैं। उन्होंने भी अपने स्तर से पड़ताल की है। अब माना जा रहा है कि निगम में कई बरसों से तैनात अफसर की सरपरस्ती में न जाने कितने मामलों में फर्जी हस्ताक्षर कर मामले निपटाए गए होंगे।

मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार में जीरो टॉलरेंस की मंशा को पूरा करने की दिशा में काम किया है। टैक्स की हेराफेरी कर राजस्व को हानि पहुंचाने के मामले में टीसी और अनुचर को निलंबित करने के आदेश दिये हैं। जांच में दोनों कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है। फर्जी हस्ताक्षर करने की प्रैक्टिस की भी जानकारी मिली है। इसकी भी जांच कराई जा रही है। टैक्स के अन्य प्रकरणों की भी जांच जारी है---निधि गुप्ता वत्स, नगर आयुक्त।

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