बस्ती : श्रावण मास में लगता है भक्तों का तांता, जानें भदेश्वर नाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं..
अमृत विचार, बस्ती । लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बाबा भदेश्वर नाथ शिव मंदिर देश क प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी। कहानी यहीं पर नहीं रुकती कहा जाता है कि यहां पर अज्ञातवास के समय युधिष्ठिर ने भी पूजा की थी।
इस मंदिर से जुड़ी हुई कई कहानियां समाज में प्रचलित हैं, एक कहानी ये भी है कि जब देश अंग्रेजों के गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, तब अंग्रेजों की सेना मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्रफल पर कब्जा करना चाहती थी, लेकिन दैवीय शक्ति के चलते अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा था।
बस्ती शहर से करीब सात किलोमीटर दूर कुआनो नदी के तट पर स्थित है बाबा भदेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर। वैसे तो इस मंदिर में पूरे साल शिवभक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन में तो दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु व शिव भक्त बाबा भदेश्वर नाथ को जल चढ़ाने आते हैं। मंदिर का शिवलिंग इतना विशाल है कि कोई भी भक्त अपने दोनों बांहों से घेर कर नहीं पकड़ सकता है।
मंदिर के पुजारी राकेश गिरी का कहना है कि लोक मान्यताओं के अनुसार रावण प्रतिदिन कैलाश पर जाकर भगवान शिव की पूजा करता था, और वहां से पर रोज एक शिवलिंग लेकर वापस लौटता था। उसी दौरान रावण ये शिवलिंग भी कैलाश पर्वत से लेकर आया था। मान्यता ये भी है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने भी यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी। बता दें यह क्षेत्र वर्षों तक घने जंगलों से घिरा रहा है।
अस्पताल चौराहा स्थित शिव मंदिर के महंत देश बंधु नंदानाथ ने सर्वप्रथम 36 वर्ष पहले अयोध्या से लेकर भदेश्वर नाथ मंदिर तक कांवड़ यात्रा की शुरूआत की थी। पहली बार 1987 में पुरानी बस्ती क्षेत्र के कुछ श्रद्धालु कांवड़ यात्रा में शामिल हुए थे। अयोध्या सरयू नदी से जल भरकर कांवड़ यात्रियों ने भदेश्वर नाथ शिव मंदिर में जलाभिषेक किया था। तब से यह एक परंपरा हो गई है। नंदानाथ ने बताया कि पहली बार कांवड़ यात्रा में महज 20 श्रद्धालु ही शामिल हुए थे, लेकिन आज इसमें पांच लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल होते हैं।
बताया कि दिन-प्रतिदिन कांवड़ यात्रा को लेकर लोगों में श्रद्धा बढ़ती गई। जैसे-जैसे लोगों की श्रद्धा बढ़ी, उनकी संख्या भी बढती चली गई। आज बस्ती की कांवड़ यात्रा श्रद्धालुओं की दृष्टि से ऐतिहासिक मानी जाती है। इसमें शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच गई है।
बताया कि हिंदू धर्म में सरयू नदी का जल पवित्र माना जाता है, इसीलिए बस्ती और आसपास के जिलों से श्रद्धालु वहां से जल लेकर भद्रेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं।
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