...तुम्हारी गृह दशा खराब हैं, भूत-प्रेत का साया है, पूजा करानी होगी

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। तुम्हारी गृह दशा खराब हैं, भूत-प्रेत का साया है, पूजा करानी होगी… सावधान! शहर में लुटेरे घूम रहे हैं, गहने पहनकर चलेंगी तो लुट जाएंगी… सोने का गहना है, सस्ते में बेच रही हूं, ले लो वरना दोबारा मौका नहीं मिलेगा… कुछ ऐसे ही झांसे हैं, जिनके चक्कर में आकर इन दिनों राजधानीवासी बहुतायत में टप्पेबाजी का शिकार हो रहे हैं। 

जी हां वैसे तो शहर में क्राइम के ग्राफ में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पर अगर लखनऊ पुलिस इन दिनों सबसे अधिक परेशान है तो टप्पेबाजों व लुटेरों से। दरअसल शहर में इन दिनों कई कुख्यात अंतर्जनपदीय और अंतर्राज्यीय टप्पेबाज गिरोह सक्रिय हैं। तो सड़क पर कोई अनजान, जबरन मददगार बनने को सामने आ जाये, तो जरा सतर्क हो जाएं, वरना आप भी टप्पेबाजी का शिकार हो सकते हैं।

8 से 10 बड़े गिरोह सक्रिय
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों की मानें तो इन दिनों शहर में 8 से 10 अंतर्जनपदीय व अंतर्राज्यीय स्तर के टप्पेबाज गिरोह सक्रिय हैं। इसके अलावा 20 से 25 छोटे-छोटे लोकल टप्पेबाज गिरोह भी लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। जिसके कारण पिछले कुछ समय से शहर में टप्पेबाजी की घटनाओं में काफी इजाफा हुआ है। हालांकि पुलिस इन गिरोहों की धरपकड़ करने में भी कामयाब हो रही है।

अपने जाल में फंसा लेते हैं
क्राइम ब्रांच के निरीक्षक भीष्म कुमार सिंह ने बताया कि टप्पेबाजी के अधिकांश गिरोह राह चलती मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं को ही झांसे में लेते हैं। सबसे अहम हैं इनके तरीके। ये इतने दक्ष होते हैं कि महिलाओं की मानसिकता का फायदा उठाकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं। जाल में फंसाने के बाद टप्पेबाजी करके फरार हो जाते हैं।

महिलाओं के दो माहिर गुट
शहर में दो ऐसे गुट भी हैं जिन्हें महिलाओं द्वारा लीड किया जाता है। एक हसीना गैंग, जिसकी महिला सदस्याएं बस या यात्री वाहनों में बातों में उलझाकर बैग, मोबाइल, गले से सोने की चेन आदि ले उड़ती हैं। इस गिरोह की सदस्याएं सेल्समैन बनकर घरों के अंदर घुसकर भी टप्पेबाजी करती हैं।

 दूसरा गिरोह है देवरानी-जेठानी गिरोह। इस गिरोह को तीन वर्ष पूर्व देवरानी-जेठानी की जोड़ी ने ही शुरू किया था। गिरोह 8-10 मेंबर हैं, जो सभी महिलाएं हैं। गिरोह की सदस्याएं ज्वेलरी दुकानों में ग्राहक बनकर जाती हैं और सेल्समैन या दुकानदार को बातों में उलझाकर असली सोने की ज्वेलरी की जगह नकली सोने की ज्वेलरी रखकर फरार हो जाती हैं।

शहर में लोकल गैंग्स के साथ-साथ टप्पेबाजी के कई अंतर्जनपदीय व अंतर्राज्यीय गिरोह सक्रिय हैं। अच्छी बात ये है कि हाल के दिनों में पुलिस कई बड़े गिरोहों की धरपकड़ करने में कामयाब रही हैं। अधिकांश गिरोह नेक्सस की तरह काम करते हैं, जिनके सदस्य अलग-अलग शहरों में या शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में फैले होते हैं। पुलिस इस नेक्सस को तोड़ने का भी काम कर रही है..., आकाश कुलहरि, जेसीपी क्राइम एंड हेडक्वार्टर।

ये मशहूर टप्पेबाज गैंग कुछ इस तरह देते हैं झांसा :

क्रमांक - गिरोह का नाम – मूल उत्पत्ति – लखनऊ में सक्रिय सदस्य - मॉडस ऑपरेंडी (अपराध का तरीका)

1 - ईरानी गैंग – मुम्बई, महाराष्ट्र – लगभग 50 – पुलिस बनकर भय दिखाकर झांसा देना

2 - तांत्रिक गिरोह – उत्तराखंड – लगभग 80 से 90 – साधु या तांत्रिक बनकर गृह दशा खराब बताकर या भूत-प्रेत का साया बताकर पूजा-पाठ कराने के नाम पर

3 - शाह गैंग – गुजरात –12 से 15 - क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर केस में फंसाने का झांसा देकर

4 - सायलेंसर गिरोह – लखनऊ व लखीमपुर – 50 से 60 – वाहन के सायलेंसर में स्प्रे मारकर धुआं निकलने या तेल टपकने का झांसा देकर

5 - देवरानी-जेठानी गिरोह – लखनऊ – 8 से 10 – ज्वेलरी दुकानों में ग्राहक बनकर नकली सोने को असली सोना बताकर बेचना

6 - हसीना गैंग – बिहार व झारखंड – 15 से 20 - बसों या अन्य यात्री वाहनों में सवारी को बात-चीत में उलझाकर बैग, गहने उड़ाना

7 - उधमसिंह नगर गैंग – उधमसिंह नगर, उत्तराखंड – 20 से 22 - तांत्रिक या साधू बनकर गृह दशा खराब बताकर तंत्र-मंत्र का झांसा देकर टप्पेबाजी या लूट
8 - गोरे का गिरोह – नार्थ ईस्ट – 8 से 10 – सस्ते मोबाइल या चाइनीज सामान बेचने का झांसा देकर।

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