मुरादाबाद : 11 साल के जगदीश प्रसाद शर्मा बने थे आंदोलनकारियों की प्रेरणा

जुलूस की भीड़ में आयु और लंबाई में सबसे छोटे थे जगदीश प्रसाद शर्मा, अंग्रेज ने मारी थी, गोली हो गए थे शहीद

मुरादाबाद : 11 साल के जगदीश प्रसाद शर्मा बने थे आंदोलनकारियों की प्रेरणा

मुरादाबाद, अमृत विचार। भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लोहा लेने वालों में जगदीश प्रसाद शर्मा का नाम कौन नहीं जानता। जी हां, पंडित बाबूराम के बेटे जगदीश प्रसाद शर्मा ने अपने शौर्य से अंग्रेजों की हिम्मत तोड़  दी थी। नौ अगस्त 1942 का दिन था। गांधी की भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा होते ही मुरादाबाद के लोगों में जोश बढ़ गया था।

  • महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा होते ही लोगों में बढ़ गया था जोश
  • भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने गोली चलाने के दिया था आदेश 

शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए आजादी के दीवाने गांधी जी की घोषणा के पहले ही दिन जिले के आसपास के युवा भी आंदोलन में आ गए थे। फिर दरीबा पान से लोग तिरंगा लेकर ‘भारत माता की जय, अंग्रेजों भारत छोड़ों’ नारे लगाते हुए आजादी के दीवाने आगे बढ़ रहे थे। 

इसमें जगदीश प्रसाद शर्मा अन्य सभी लोगों से आयु और लंबाई में लगभग छोटे थे। उनकी आयु केवल 11 साल की थी। लेकिन, उनके शौर्य और पराक्रम ने तमाम युवाओं को प्रेरणा देने वाला था। जगदीश जैसे बालक को आजादी के आंदोलन में  बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते देख अन्य युवा और बुजुर्ग तक जुलूस में शामिल हो रहे थे। आंदोलन की घोषणा का दूसरा दिन 10 अगस्त था, दरीबा पान से जुलूस निकल रहा था। इसका नेतृत्व अधिवक्ता राम मोहन लाल कर रहे थे। पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। भीड़ के पीछे न हटने पर उस समय के डीएम-एसपी भी भयभीत हो गए थे। बाजार बंद थे। 

भीड़ को तितर-बितर करने का जब कोई रास्ता अंग्रेज अधिकारियों को नहीं मिला तो उन्होंने गोली चलाने के आदेश दे दिया था। इस दौरान जगदीश प्रसाद शर्मा ने वह कर दिया जिसके लिए वह हमेशा के लिए भारतीयों के दिलों में जीवित हैं। जगदीश प्रसाद शर्मा ने डीएम-एसपी और भारी पुलिस बल के सामने खंभे पर चढ़कर तिरंगा लहरा दिया था, तभी किसी पुलिसकर्मी ने उन पर गोली चली दी और वह शहीद गए थे।

 वैसे इस गोलीकांड में अन्य कई लोग भी शहीद और घायल हुए थे। इसके बाद अंग्रेजी अधिकारियों से गुस्साए आंदोलनकारियों ने कांकाठेर और मछरिया स्टेशन में आग लगा दी थी।

दरीबापान के पास शहीद हुए थे जगदीश
बुजुर्ग बताते हैं कि 9 अगस्त 1942 के दिन आंदोलन कर रहे जिले के प्रमुख नेता गिफ्तार हो गए थे। इनकी गिरफ्तारी के बाद आंदोलनकारियों का गुस्सा बढ़ गया था। पुलिस कार्रवाई के विरोध में नौ अगस्त के दिन से भी अधिक संख्या में आंदोलनकारियों ने महानगर में जुलूस निकाला। रेलवे स्टेशन, थाना व अन्य सरकारी कार्यालयों में जमकर तोड़फोड़ की थी। जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान हथियार बंद जत्थे के साथ गश्त लगाकर लौट रहे थे, तभी दरीबा पान से मंडी चौक तक लोगों की भीड़ देखी। 150 लोगों से अधिक की भीड़ में भारी रोष था, सभी के हाथों में तिरंगा और ‘भारत माता की जय, अंग्रेजों भारत छोड़ो’ जैसे तेज आवाज में नारे लगाए जा रहे थे। पुलिस ने आंदोलनकारियों की तरफ दौड़ते हुए गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं। दरीबा पान के पास ही जगदीश प्रसाद शर्मा के गोली लगी जहां वह शहीद हो गए।

... और जब रेलवे स्टेशन पर लूटे टिकट
आजादी के दीवानों का जुलूस मंडी चौक से होकर अमरोहा गेट, चौमुखापुल, कोतवाली के समाने से होता हुआ बाजार गंज, चौक गुरहट्टी, परसादी लाल रोड पर होकर रेलवे स्टेशन पहुंचा था। जहां भीड़ ने रेलवे स्टेशन के टिकट वितरण काउंटर पर टिकट लूट लिए और जमकर तोड़फोड़ कर गुस्सा ठंडा किया था।

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