अलर्ट: आज खतरे का निशान पार कर सकती है रामगंगा, पिछले 48 घंटे में दो मीटर बढ़ा जलस्तर
बरेली, अमृत विचार। कटघर (मुरादाबाद) से पानी छोड़े जाने के कारण बरेली में रामगंगा नदी लगातार उफन रही है। पिछले 48 घंटे में रामगंगा का जलस्तर दो मीटर से ज्यादा बढ़ गया है और चौबारी में खतरे के निशान से सिर्फ एक मीटर नीचे रह गया है।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने अगले 24 घंटे संवेदनशील बताए हैं। साथ ही अगले तीन दिन तक जलस्तर में वृद्धि होने की भी आशंका जताई है। रामगंगा का पानी अभी से तमाम गांवों के नजदीक पहुंच गया है। इस कारण नदी से सटे करीब तीन सौ गांवों के लोगों की धड़कनें बढ़ने लगी हैं।
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारी अभी सीधे कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन जिस गति से रामगंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, उससे यह आशंका साफ है कि जल्द ही वह खतरे का निशान पार कर जाएगा। इसे देखते हुए प्रशासन की ओर से जिले भर में बनाई गईं बाढ़ चौकियों को लगातार अलर्ट किया जा रहा है। चौबारी में रामगंगा का खतरे का निशान 162 मीटर पर है। 24 घंटे पहले रामगंगा का जलस्तर 159.350 मीटर था जो मंगलवार को 161.05 मीटर पर पहुंच गया। 162.07 मीटर पहुंचने के बाद तटवर्ती गांवों के बाढ़ से घिरने की आशंका है। अनाधिकारिक तौर पर इसके बुधवार को ही खतरे का निशान छू लेने के आसार जताए जा रहे हैं।
बता दें कि जिले में तीन सौ से ज्यादा गांव रामगंगा से सटे हुए हैं। इनमें से करीब दो दर्जन गांवों में बाढ़ के लिहाज से स्थिति काफी संवेदनशील है। बाढ़ खंड के एसडीओ अमित किशोर के मुताबिक बरेली की सीमा में रामगंगा, किच्छा, पश्चिमी बैगुल, भाखड़ा, बहगुल और देवहा समेत कई छोटी नदियां बहती हैं।
कालागढ़ डैम से निकलने वाली रामगंगा दूसरी नदियों की तुलना में सर्वाधिक क्षेत्रफल से गुजरती है। बाढ़ आने पर कालागढ़ डैम से पानी रोक दिया जाता है। इससे शहर में तो बाढ़ की आशंका कम रहती है, लेकिन भारी बारिश के दौरान किच्छा, पश्चिमी बहगुल, कोसी नदी में रामगंगा का डिस्चार्ज बढ़ जाता है। मुरादाबाद से रामगंगा में पानी आने से यहां रामगंगा के तटवर्ती गांव भगवानपुर, सरदारनगर, कोहनी, फिरोजपुर, जगतपुर, त्रिकुनिया, रुकुमपुर, बल्लिया समेत दो दर्जन से ज्यादा गांवों के लिए खतरा हो सकता है।
दो साल पहले पैदा हुए थे बाढ़ के हालात
बाढ़ नियंत्रण विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक दो साल पहले अक्टूबर में पहाड़ों पर भारी बारिश होने से जिले में नदियों का जलस्तर बढ़ा था। 2021 में रामगंगा का जलस्तर 162.130 मीटर और 2022 में 160.940 मीटर रहा। रामगंगा से सटे क्षेत्र सूदनपुर, जितौर उसके आसपास के गांवों में बाढ़ का प्रकोप पैदा होने से जनजीवन प्रभावित हुआ था। तीन सौ से ज्यादा गांवों को दुश्वारियों से जूझना पड़ा था। हालांकि जलप्रवाह से कोई जनहानि नहीं हुई थी।
लगातार बढ़ रहा है जलस्तर
9 सितंबर-158.900
10 सितंबर-158.990
11 सितंबर-159.350
12 सितंबर-161.05
1978 में उच्चतम स्तर पर पहुंचकर रामगंगा ने जिले में ढाया था कहर
बाढ़ नियंत्रण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बरेली जिले में रामगंगा का अब तक उच्चतम जलस्तर 1978 में 162.88 रहा था। तब जिले के कई इलाकों में रामगंगा ने कहर ढाया था। इसके बाद पिछले 45 सालों में रामगंगा का जलस्तर इतना कभी नहीं बढ़ा। चौबारी में रामगंगा के मापन केंद्र पर चेतावनी का स्तर 162.07 और खतरे का स्तर 163.07 मीटर पर है। मंडल में रामगंगा का उच्चतम बाढ़ स्तर पर 164.29 मीटर रिकॉर्ड है।
बरेली के 300 गांव में बाढ़ का खतरा
खो बैराज से 83 हजार क्यूसेक, किच्छा नदी, गोला बैराज से 22 हजार क्यूसेक और कोसी से 23 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से कटघर मुरादाबाद का लगातार जल स्तर बढ़ रहा है। जिसके चलते यहां रामगंगा का जलस्तर तीन दिन ओर बढ़ने की संभावना है।
इससे बरेली में सदर, मीरगंज ,आंवला, नबाबगंज, फरीदपुर तहसील के 300 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि यह गांव रामगंगा के आस-पास बसे हुए है। उधर, फरीदपुर की तरफ रामगंगा का कटान शुरू होने की वजह से सबसे पहले फरीदपुर के गांव प्रभावित होने की आंशका है।
मीरगंज और शेरगढ़ में मंगलवार को रामगंगा नदी ने कुछ गांवों में खेतों का कटान किया था। मंगलवार को कटान होने की कहीं से कोई सूचना नहीं है। तटबंधों की निगरानी की जा रही है। रामगंगा में मंगलवार को पानी छोड़ा गया है। फिलहाल हालात सामान्य है। -राजेंद्र सिंह सिंह, अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड
ये भी पढे़ं- बरेली: यूटीएस एप ने जायरीन को रेलवे टिकट की लाइन से बचाया
