बरेली: कुतुबखाना पुल... इस दिवाली भी जलेंगे व्यापारियों के दिल

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Published By Vishal Singh
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निर्माण जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं, इस बार भी त्योहारों और सर्दी के सीजन में मंदा रहने की आशंका से व्यापारियों की बेचैनी बढ़ी

बरेली, अमृत विचार। कुतुबखाना फ्लाईओवर का निर्माण तमाम दावों के बावजूद गति नहीं पकड़ पा रहा है। दिवाली और सर्दी का सीजन नजदीक आने के साथ इस निर्माण से प्रभावित कारोबारियों की चिंताएं एक बार फिर बढ़ने लगी हैं। कहने को अफसर कार्यदायी संस्था पर दबाव बनाए हुए हैं, हाल ही में निर्माण में देरी पर 38 लाख का जुर्माना भी ठोका गया है लेकिन कार्यदायी संस्था की ओर से पर्याप्त बजट न मिलने की दुहाई दी जा रही है। स्मार्ट सिटी कंपनी से अब तक सिर्फ 55 फीसदी बजट मिला है। अगली किस्त कई बार मांग के बावजूद नहीं दी गई है।

करीब साल भर पहले जब कुतुबखाना पुल का निर्माण शुरू हुआ था तो अफसरों और नेताओं ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया था कि तेजी से निर्माण कराकर छह महीने के अंदर पुल तैयार करा दिया जाएगा ताकि उनका कारोबार प्रभावित न हो, लेकिन अब दुगना समय निकलने के बाद भी अब तक लगभग आधा ही काम हुआ है। पुल के निर्माण की वजह से कोतवाली से कोहाड़ापीर पुलिस चौकी तक हजारों दुकानदारों का कारोबार प्रभावित हुआ है। सर्वाधिक भीड़भाड़ वाले इस बाजार में ग्राहकों की संख्या घटकर आधे से भी कम रह गई है। कुछ समय पहले तक कारोबारियों को उम्मीद थी कि अक्टूबर-नवंबर तक पुल का निर्माण पूरा होने के साथ उनका कारोबार पटरी पर आ जाएगा लेकिन अब लगभग तय हो चुका है कि यह दिवाली और सर्दी का सीजन भी उन्हें ऐसे ही दुर्दशापूर्ण हालात में गुजारना पड़ेगा।

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बता दें कि कोतवाली से घंटाघर तक करीब 80 फीसदी काम हो चुका है, लेकिन कोहाड़ापीर से कुतुबखाना पुलिस चौकी तक अभी 40 फीसदी भी काम नहीं हुआ है। इस रोड पर ज्यादातर हार्डवेयर, सेनेटरी, सिलाई मशीन से जुड़ा कारोबार है। जिला अस्पताल रोड पर कपड़ा, फुटवियर, ड्राई फ्रूट का बड़ा कारोबार है जो त्योहारों के सीजन में आम तौर पर काफी व्यस्त रहता है लेकिन इस बार यहां मायूसी का माहौल है। कारोबारियों का कहना है कि इस रोड पर काम काफी हद तक हो चुका है लेकिन पुल के नीचे तंग सड़क पर फड़ और ठेलों के अतिक्रमण से सर्विस रोड और नाले का निर्माण तेजी से नहीं हो पा रहा है। पुल के नीचे अगर डिवाइडर बना दिया जाए जो दुकानों के आगे फड़ और ठेले वाले अतिक्रमण नहीं कर पाएंगे। इससे उन्हें कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।

लोकसभा चुनाव दिसंबर में हुए तो फिर क्या वादा करेंगे
कुतुबखाना पुल का निर्माण 29 सितंबर 2022 को शुरू हुआ था। 1307 मीटर लंबे इस पुल का एस्टीमेट 105 करोड़ रुपये का है। शुरू में सेतु निगम और निर्माण एजेंसी के बीच तालमेल की कमी से स्थिति काफी खराब रही थी। अब बजट की कमी आड़े आ रही है। अब लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ जनप्रतिनिधियों की बेचैनी बढ़ने लगी है। इसी कारण दिसंबर तक काम पूरा करने का दबाव है। जिस तरह समय पूर्व दिसंबर में ही चुनाव कराए जाने की संभावना जताई जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो जनप्रतिनिधियों के लिए भी संकट खड़ा हो जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि उन पर तो काम पूरा कराने का दबाव है, लेकिन बजट दिलाने में जनप्रतिनिधि गंभीरता नहीं दिख रहे। अब तक 55 फीसदी ही बजट मिला है। इसी कारण काम तेजी से नहीं हो पा रहा है।

कोई तो सीमा हो झूठे वादों की
त्योहारों का सीजन नजदीक आ चुका है। व्यापारी अब तक बहुत परेशान हो चुके हैं। कोतवाली से घंटाघर तक पुल 80 फीसदी बन चुका है मगर अब दुकानों के आगे बेतरतीब ढंग से नाले के निर्माण से दिक्कत बढ़ गई है। -देवेंद्र कुमार कपड़ा कारोबारी

लगातार दूसरे साल त्योहारों के सीजन में हमारे कारोबार पर मंदी की मार पड़ने के आसार हैं। ग्राहकों के लाले पड़े हैं। पुल के नीचे अगर डिवाइडर बना दिया जाए तो कुछ हद तक व्यापारियों को सहूलियत मिल जाएगी। -राहुल अरोरा, रेडीमेड गारमेंट्स

अफसरों और नेताओं के वादों के बावजूद कारोबार पूरी तरह खत्म हो चुका है। दुकानों के आगे नाला बन रहा है, इसलिए ग्राहक आना नहीं चाहते। पुल के नीचे डिवाइडर बने तो सर्दी के सीजन में हालात ठीक हो सकते हैं। - आशीष श्रीवास्तव, कपड़ा कारोबारी

कोतवाली से कुतुबखाना तक पुल बन चुका है, सड़क पड़ने के साथ अगर अतिक्रमण को हटा दिया जाए तो बाजार में हालात कुछ सुधर सकते हैं। ग्राहक कम आ रहे हैं। निर्माण कार्य ठीक गति से चल रहा है। - नरेंद्र सिंह, फुटवियर कारोबारी

कारोबार पूरी तरह ठप पड़ा है, सिर्फ व्यापारियों का खर्च निकल पा रहा है। इस वक्त हालत और ज्यादा खराब हैं। नाले की खुदाई के दौरान ,ड़क पर कई लोग फिसलकर चोटिल हुए हैं। ग्राहक बाजार से दूर हो चुके हैं।- राजीव गांधी, व्यापारी

कार्यदायी संस्था बहुत लापरवाही से काम कर रही है। त्योहारों का सीजन करीब आ चुका है मगर ग्राहक दुकानों पर आना नहीं चाहता। काम रुक-रुक होता है। नाला बनने के बाद भी स्लैब नहीं डाला गया है। -वंश गाबा, कपड़ा विक्रेता

काम कब शुरू होता है और कब बंद, कुछ पता ही नहीं चलता। झूठे वादों की झड़ी लगाने वाले अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने अगर सख्ती बरती होती तो आज व्यापारियों काे इस दुर्दशा का सामना न करना पड़ता। -अतुल कालरा, कपड़ा व्यापारी

दो महीने में जिला अस्पताल रोड पर काम पूरा होने की उम्मीद है। त्योहार नजदीक आ चुके हैं। अफसर वास्तव में अगर व्यापारियों का भला चाहते हैं तो पुल के नीचे डिवाइडर का भी निर्माण कराएं। -संजय आनंद, मेवा करोबारी

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