अयोध्या: राम नगरी में सतही सियासत बनी मौका
अयोध्या। महाराष्ट्र प्रांत के शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बीच चल रही बयानबाजी में राम नगरी के बयान बहादुरों ने जमकर भड़ास निकाली। जो शिवसेना उग्र हिंदुत्व के लिए नई पीढ़ी के साधु संतो की पहली पसंद हुआ करती थी, हाल यह हुआ कि बयान बहादुरों ने उसी …
अयोध्या। महाराष्ट्र प्रांत के शिवसेना सुप्रीमो और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के बीच चल रही बयानबाजी में राम नगरी के बयान बहादुरों ने जमकर भड़ास निकाली। जो शिवसेना उग्र हिंदुत्व के लिए नई पीढ़ी के साधु संतो की पहली पसंद हुआ करती थी, हाल यह हुआ कि बयान बहादुरों ने उसी शिवसेना सुप्रीमों उद्धव ठाकरे के श्रीराम की नगरी में घुसने पर अघोषित प्रतिबंध लगा दिया।
हवा के विपरीत श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने खरी खरी क्या कह दी। इस सतही सियासत को राम नगरी में ट्रस्ट और उसके महासचिव को घेरने का मौका बना लिया गया। सोमवार को हनुमानगढ़ी पर प्रतीकात्मक रूप में ही सही पहली बार ट्रस्ट महासचिव के खिलाफ खुलकर प्रदर्शन हुआ और विरोध में नारेबाजी की गई।
रविवार की देर शाम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एक मीडियाकर्मी के सवाल पर कहा था कि ‘अयोध्या में किसकी मां ने इतना दूध पिलाया है, जो उद्धव ठाकरे को अयोध्या आने से रोक सके’। फिलहाल अभी तक शिवसेना के प्रदेश प्रभारी संतोष दुबे के अलावा शिवसेना और कंगना रनौत के विवाद में सुर्खियों में रहने वाले ज्यादातर संत बॉलीवुड अभिनेत्री के पक्ष में ही बयानबाजी करते रहे हैं।
ट्रस्ट महासचिव के बयान को लेकर राम नगरी में हलचल शुरू हुई तो निर्वाणी अनी अखाड़े के महंत धर्मदास ने मोर्चा खोल दिया। इनकी ओर से अखाड़े का रामलला के गर्भ गृह में पूजन अर्चन का अधिकार मांगा गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जमीन का मालिकाना हक रामलला के पक्ष में करते हुए जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण और उसकी देखरेख के लिए ट्रस्ट के गठन का आदेश कर दिया। राम नगरी में महंत धर्मदास को महासचिव चंपत राय का वैचारिक विरोधी भी माना जाता है।
ट्रस्ट महासचिव चंपत राय के शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पक्ष में बयान से नाराज साधु संतों ने पौराणिक पीठ हनुमानगढ़ी के द्वार पर प्रदर्शन किया। चंपत राय मुर्दाबाद और चंपत राय वापस जाओ जैसे नारे लगाए। प्रदर्शन में महंत धर्मदास, पुजारी राजू दास के अलावा कई नागा साधु शामिल रहे।
