Kanpur News: अब चीनी नहीं करेगी सेहत खराब, शुगर भी कंट्रोल, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने किया लो-जीआई चीनी का उत्पादन
कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने किया लो-जीआई चीनी का उत्पादन।
कानपुर में राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने लो-जीआई चीनी का उत्पादन किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि चीनी में विटामिन ए भी प्रचुर मात्रा में है।
कानपुर, अमृत विचार। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) ने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (लो जीआई) वाली शुगर उत्पादन की तकनीक खोज निकाली है। दावा किया गया है कि उन्होंने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (लो जीआई) वाली विटामिन ए फोर्टिफाइड शुगर के उत्पादन में भी सफलता हासिल कर ली है। यह भी दावा किया गया है कि इस तरह की तकनीक से बनी चीनी का उपयोग करने से शुगर लेवल नियंत्रण से बाहर नहीं होगा।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि लगभग चार साल के शोध के बाद श्रुति शुक्ला और स्वेच्छा सिंह की टीम ने वरिष्ठ शोध अध्येता अनुष्का कनोडिया की देखरेख में यह सफलता हासिल की है। सीनियर रिसर्च फेलो अनुष्का कनोडिया ने कहा कि इस चीनी में विटामिन ए को शामिल करने से लोगों में विटामिन ए की कमी भी पूरी हो जाती है।
ऐसा होता है उत्पादन
इस प्रकार की विशिष्ट चीनी के उत्पादन में सबसे पहले गन्ने के रस को न्यूनतम मात्रा में रसायनों का उपयोग करके साफ किया जाता है। इसके बाद ‘लो-जीआई’ चीनी बनाने की प्रक्रिया में नियंत्रित परिस्थितियों में निर्दिष्ट मात्रा में शुगर मेल्ट में स्टीविया, मोंक फ्रूट आदि का सम्मिश्रण किया जाता है, जो चीनी के सेवन के दौरान रक्त शर्करा के स्तर में अचानक वृद्धि को बेअसर करने में मदद करता है।
ऐसे करता है काम
रक्त शर्करा (चीनी) के स्तर पर समय के साथ पड़ने वाले प्रभाव के अनुसार खाद्य पदार्थों को उच्च जीआई (70 या ऊपर), मध्य जीआई (56-69) या निम्न (लो) जीआई (55 या कम) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। किसी विशिष्ट भोजन का जीआई जितना कम होगा, वह किसी के रक्त शर्करा स्तर को उतना ही कम प्रभावित कर सकता है और उसको खाने से रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का लेवल तेजी से नहीं बढ़ता। इसलिए, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर में कम वृद्धि करते हैं और मधुमेह प्रबंधन के अलावा कुल कोलेस्ट्रॉल स्तर, रक्तचाप को प्रबंधित करने और गैर- अल्कोहल रोगियों में यकृत वसा को कम करने आदि में मदद करने में भी सहायक होते हैं।
खेती में घटाई साफ पानी की खपत
संस्थान में पूर्व में हुए शोध में चीनी उत्पादन में ताजे जल की खपत को घटाने पर भी सफलता हासिल की है। शोध में जलशोधन के लिए स्वदेसी तकनीक खोज निकाली है। चार साल पहले हुए इस शोध का चीनी मिलों में उपयोग भी हो रहा है। तकनीक के प्रयोग से चीनी मिलों से निकलने वाला पानी सिंचाई के काम आ रहा है।
पर्यावरण को भी मिला लाभ
संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि चीनी मिलों में इस्तेमाल होने वाले पानी के शोधन से पर्यावरण को भी लाभ पहुंचता है। उन्होंने बताया कि तकनीक के प्रयोग से चीनी मिलें ऐसे जल का उत्सर्जन कर रही हैं जो किसानों के खेतों में सिंचाई के काम भी आ सकता है। चीनी मिलों के जल उत्सर्जन की सबसे बड़ी समस्या सल्फरयुक्त पानी का निकास है। जलशोधन संयंत्र भी चीनी मिलों के पानी में घुले सल्फर का शोधन नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में एनएसआई ने सल्फर मुक्त जल के लिए भी तकनीक विकसित की।
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