लखनऊ विवि: इंटरफेस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जाना समस्याओं के प्रति कैसे बनें संवेदनशीलता और विकसित हो समझ
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग में पूर्व दीक्षांत समारोह कार्यक्रम की शृंखला में उम्मीद संस्था के साथ समाज कार्य के विद्यार्थियों के लिए एक इंटरफेस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता एवं समझ उत्पन्न करना था।
संस्था के सचिव बलबीर सिंह मान ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि शुरू में काफ़ी समस्याएं आईं लेकिन जैसे-जैसे समस्याओं को देखने का उनका नजरिया व्यावसायिक होता गया वैसे-वैसे समस्याओं की जड़ तक पहुंचना आसान होता गया।
संस्था इस समय भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों के समायोजन का काम कर रही है जिसके लिए उसने “भिक्षा से शिक्षा की ओर” कार्यक्रम चलाया हुआ है। साथ ही मानसिक रूप से मंदित माताओं के लिए “मातृत्व छाया” कार्यक्रम भी चला रखा है।
यहां पर बच्चों और माताओं को रैन बसेरे में लाया जाता है उसके बाद पूर्ण रूप से वैज्ञानिक पद्धति से उन्हें मुख्यधारा में लाने का काम किया जाता है। कार्यक्रम में संस्था की उपसचिव आराधना सिकरवार भी पूरे समय उपस्थित रहीं जिनके अनुभवों का लाभ विद्यार्थियों को मिला।
उन्होंने बताया कि बच्चों, महिलाओं और वृद्धों से जुड़े मुद्दों को लेकर व्यक्तिगत संवेदनशीलता बहुत जरूरी है। इसलिए व्यावसायिक समाज कार्य करने से पहले हमें ये देखना होगा कि हम स्वयं कितने संवेदनशील हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों ने तमाम सवाल भी पूछे। उन्होंने पूछा कि समाज कार्य के सिद्धांतों को समुदाय के साथ एवं समुदाय के लिए काम करते हुए किस प्रकार अमल में ला सकते हैं। आराधना सिकरवार ने कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र में ऐसे ही कई सवालों का उत्तर देकर छात्रों की जिज्ञासा को शांत किया।
पूरे कार्यक्रम में छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय ने संस्था और उसके प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि निःसंदेह एक सफल समाजकार्य व्यवसायी बनने की पहली शर्त ही संवेदनशील होना है। सामाजिक मुद्दों को लेकर हम जितना संवेदनशील होंगे उनका हल भी उतनी जल्दी और पूर्ण मिलेगा।
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