ऑनलाइन गेमिंग की लत से मुक्ति बहुत जरूरी, लखनऊ विश्वविद्यालय में कार्यशाला आयोजित

Amrit Vichar Network
Published By Ravi Shankar Gupta
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अमृत विचार लखनऊ:  शराब के नशे जैसी घातक है ऑनलाइन गेमिंग की लत। आप सब विद्यार्थियों के माता-पिता विद्यालय, विश्वविद्यालय आपको पढने के लिए भेजते हैं यहां से निकलकर आप आईएएस, आईपीएस, जन नेता बने तो ठीक हैं वरना जीवन बर्बाद करने से अधिक कुछ नहीं होगा। आप विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर भी बन सकते हैं लेकिन इन सबको पाने के लिए आपको मोबाइल की लत छोडनी ही होगी। मोबाइल हमारी ज़रूरत का एक संसाधन है जो हमारी आदत न बने तो ज्यादा बेहतर होगा।” यह वक्तव्य आज लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग और हेड डिजिटल वर्क्स के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुए ‘मोबाइल गेमिंग डीएडिक्शन अभियान के अंतर्गत “खेलो! मगर ध्यान से” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सहभागिता कर रहे प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकि का जाल वरदान भी है और अभिशाप भी। 

कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा के लिए वरदान बने मोबाइल अब छात्रों के लिए लत बन गए है। मोबाइल में ऑनलाइन गेम ही समय गुजारने का जरिया तो बना लेकिन मनोरंजन का यह साधन अब बुरी लत में तब्दील हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी मोबाइल गेमिंग की लत को बच्चों से दूर करने की नीतियां बना चुकी है और जल्दी ही ऐसी कई नीतियां हमारे सामने होंगी। उन्होंने हेड डिजिटल वर्क्स और समाज कार्य विभाग को अपना धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया।

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि सहभाग कर रहे प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि यदि भारत को पुनः विश्व गुरु बनना है तो आप सभी युवाओं को मोबाइल की लत छोडनी होगी। आपके ऊपर देश का उत्तरदायित्व है और यदि ज़िम्मेदारी उठाने वाले कंधे मोबाइल की लत से कमज़ोर पड़ जायेंगे तो देश का विकास ही धीमा पड़ जायेगा और देश का धीमा विकास हमारी पीढ़ियों के लिए खतरनाक होगा। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि मोबाइल को ज़रूरत बनाया जाए न कि लत। उन्होंने बताया कि बेटिंग से दूर रहकर आप अपना समाजीकरण में ध्यान लगायें।

कार्यक्रम में लखनऊ पश्चिम के एडिशनल पुलिस कमिश्नर एवं साइबर एक्सपर्ट चिरंजीव नाथ सिन्हा ने अपने व्याख्यान में कहा कि ऑनलाइन खेलना ही क्यों, जब आपके पास मनोरंजन के लिए किताब, गायन और मैदानी खेल पहले से ही हैं।  जिनसे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। यदि खेल ही रहे हैं तो बिना सोचे समझे किसी नोटिफ़िकेशन का जवाब न दें। साथ ही उन्होंने साइबर ट्रैप से बचने के लिए भी बच्चों को प्रशिक्षित किया।

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