कासगंज: 104 वर्ष पुराना है विख्यात शिवराज पशु मेला, शुरू हुआ ध्वजारोहण के साथ
प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से पहुंचे पशु कारोबारी, पालक
कासगंज, सोरोंजी, अमृत विचार : देश के विख्यात मार्गशीर्ष मेले में लगने वाला शिवराज पशु मेला गुरुवार से शुरू हो गया। आयोजकों ने पूजन किया और ध्वजारोहण कर मेले का शुभारंभ किया। मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से पशु कारोबारी व पालक मेले में डेरा डाल चुके है। 15 दिवसीय पशु मेला 25 दिसंबर तक चलेगा।
पूजन कर मेले का शुभारंभ करते हुए मेले के आयोजक राव मुकुल मान सिंह ने बताया कि मेला 104 वर्ष पुराना है। 1919 में में मेले का शुभारंभ उनके पूवर्ज राजा शिवराज सिंह के नाम किया गया था। सन 2018 में मेले का शताब्दी वर्ष मनाई गई थी। इस वर्ष मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश के पशु कारोबारी और पशु पालकों ने डेरा डाल रखा है।
मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त शुरू हुई है। इस वर्ष 500 से अधिक व्यापारी लगभग 2500 घोड़े, घोडी और अन्य जानवरों के साथ मेले में पहुंचे है। डा. बी.डी राना, मुदित मान सिंह, अजय राना मुख्य रूप से मौजूद रहे।
चार लाख में बिका घोड़ा: शिवराज सिंह पशु मेले में पहले दिन जानवरों की खरीद फरोख्त के लिए पहुंचे पशुपालकों ने घोड़ों की खरीद फरोख्त की। सबसे अधिक महंगा चार लाख 50 हजार में बिका। इस घोड़े को बरेली के पशु पालक यासिन ने खरीदा है। यह घोड़ा राजस्थान के पशु कारोबारी द्वारा बेचा गया।
पहले थे हाथी और ऊंट: शिवराज पशु मेले में लगभग तीन दशक पूर्व हजारों की संख्या में पशुपालक और पशु कारोबारी पहुंचते थे। उस समय मेले में घोड़ा, घोड़ी और खचर के अलावा ऊंट और हाथी भी बिकने के लिए आते थे। मेला संचालक रावमुकुल सिंह बताते हैं कि मेले को कभी कोई सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिला। अब हाथी और ऊंट बिकने नहीं आते हैं। अधिकत घोड़ा घोड़ी, खच्चर ही बिकने आते हैं।
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