बहराइच: सिखों के नवें गुरू की शहादत को लोगों ने किया याद, गुरुद्वारे में चला अटूट लंगर, लगे जयकारे

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Published By Sachin Sharma
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बहराइच, अमृत विचार। बहराइच नगर में स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा पीपल चौराहे पर सिखों के नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर की शहादत पर विशेष कीर्तन दरबार सजाया गया। सिख समाज के लोगों ने बड़े श्रद्धा से गुरु की शहीदी पर्व मनाया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का माथा टेका। 

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शहर के गुरुद्वारे में शिरोमणि गुरुद्वारा अमृतसर से प्रचारक ज्ञानी जगजीत सिंह ने संगत को इतिहास बताया कि गुरु तेग बहादुर, गुरु हरगोबिंद साहिब के सबसे छोटे बेटे थे। इन्हें 'हिंद की चादर' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने हिंदू धर्म को बचाने और धर्मांतरण के लिए मुगल शासक औरंगजेब का विरोध किया था।

उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवा दिया, किन्तु धर्मांतरण स्वीकार नहीं किया। 1675 ईसवीं में गुरु साहिब के शीश को दिल्ली के चांदनी चौक में औरंजेब ने धड़ से अलग कर दिया था। हजूरी रागी फतेह सिंह ने कीर्तन से संगत को निहाल किया और हेड ग्रंथी ज्ञानी विक्रम सिंह सरबत के भले की अरदास की उसके बाद गुरु का अटूट लंगर चला।

धरम हेत साका जिनि कीआ, सीस दीआ पर सिररू न दीआ सुनाकर नम आंखों से सभी ने माथा टेका। इस मौके पर संरक्षक मंजीत सिंह शम्पी, जगनदंन सिंह, अध्यक्ष मंदीप सिंह वालिया, महामंत्री भूपेंद्र सिंह,  उपाध्यक्ष परमजीत सिंह,  जगजीत सिंह, देवेन्द्र सिंह बेदी, डॉ बलमीत कौर, मीडिया प्रभारी परविंदर सिंह सम्मी,गुरमीत सिंह, आत्मजीत सिंह, हरजीत कौर, बलजीत कौर, पवनप्रीत, रविंदर सिंह समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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