बहराइच मेडिकल कालेज का है बुरा हाल!, संसाधनों की कमी से डॉक्टर मरीज को कर देते हैं लखनऊ रेफर, रास्ते में हो जा रही मौत!

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Published By Sachin Sharma
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बहराइच। जिले के किसी भी हिस्से में सड़क हादसे में घायल होने वाले व्यक्ति को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज बहराइच में लाया जाता है। अगर उसकी हालत गंभीर है तो उसे तुरंत लखनऊ रेफर कर दिया जाता है। लखनऊ रेफर के नाम पर ऐसे लोगों की जान रास्ते में ही चली जाती है। लेकिन इस पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

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बहराइच स्टेट मेडिकल कॉलेज से संबद्ध महर्षि बालार्क जिला चिकित्सालय मंडल का आदर्श जिला अस्पताल है। इस अस्पताल में आसपास के जनपदों के लोग इलाज के लिए आते हैं। लेकिन जिला अस्पताल जब से मेडिकल कॉलेज में तब्दील हुआ है, तब से यहां व्यवस्थाएं बेहतर होने के बजाय खराब होती जा रही है। जिला अस्पताल में गरीब से लेकर उच्च वर्ग के लोग इलाज के लिए आते हैं।

फ्री में बेहतर इलाज मिले, इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भीड़ रहती है। लेकिन यहां मामला उल्टा ही दिख रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन लाख दावे करे, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही है। मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में इलाज के लिए आने वाले 70 से 80 प्रतिशत मरीजों को गंभीर हालत का हवाला देकर लखनऊ रेफर कर दिया जाता है।

बहराइच से लखनऊ की दूरी 130 किलोमीटर तय करने में ही मरीज की जान चली जाती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर मेडिकल कॉलेज में सुविधा है तो मरीज लखनऊ क्यों रेफर किए जाते हैं। इसका जवाब मेडिकल कॉलेज प्रशासन के पास नहीं दिख रहा है।

बीते एक माह के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत मेडिकल कॉलेज में रेफर के नाम पर हो गई है। फिर ऐसे मेडिकल कॉलेज से लोगों का भरोसा उठ जायेगा।

केस 1: रेफर के नाम पर नहीं मिला इलाज

पयागपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी युवक एवं इंटरनेशनल स्कूल में परिचालक के पद पर तैनात था वह छत से नीचे गिर गया जिसके चलते चोट अधिक लग गए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, लेकिन रेफर के नाम पर उसे इलाज नहीं मिला और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।

केस दो: घायल की हो गई मौत

श्रावस्ती बहराइच मार्ग पर 25 दिसंबर को बस और ट्रक में जबरदस्त विक्रांत हो गई थी जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी जबकि एक बालक गंभीर रूप से घायल हो गया था उसे बहराइच मेडिकल कॉलेज से लखनऊ रेफर कर दिया गया था। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के चलते परिवार के लोग बहराइच में इलाज कर रहे थे मंगलवार रात को उसकी भी इलाज के दौरान मौत हो गई।

नहीं हैं हृदय रोग विशेषज्ञ

कहने के लिए जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है, लेकिन यहां ह्रदय रोग विशेषज्ञ भी नहीं है। जिसके चलते ठंड में हृदय रोगियों को इलाज के लाले पड़ रहे हैं। सभी प्राइवेट में इलाज को विवश हैं। कुछ यही हाल न्यूरो सर्जन का भी है। 

एमआरआई मशीन आते ही सही होगी स्थिति

 मेडिकल कॉलेज में काफी सुधार हुआ है, सिटी स्कैन और डायलिसिस सेंटर की स्थापना हुई है एक रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सा और आया है। मेडिकल कॉलेज आने वाले सभी मरीजों का एक नजर से इलाज होता है लेकिन हादसे में घायल लोगों के अंदरूनी चोट की जानकारी एमआरआई जांच से ही होती है। इसके लिए ऐसे मरीजों को लखनऊ रेफर किया जाता क्योंकि यहां सुविधा नहीं है।

                                                                                          डॉक्टर संजय खत्री प्राचार्य

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