गोंडा: भगवान वाराह की अवतार स्थली से अपने मूल स्वरूप में बढ़ती हैं पतित पावनी सरयू 

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Published By Sachin Sharma
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घाघरा-सरयू के संगम तट त्रिमुहानी घाट पर सरयू की अगवानी करते आ रहे संत

अरुण कुमार मिश्र, गोंडा। कैलाश मानसरोवर से निकलने वाली घाघरा अपने सरयू के मूल स्वरूप को गोंडा के पसका सूकर खेत के त्रिमुहानी में धारण करती है। यहां पौष माह में हजारों वर्षों से संत, महात्मा व गृहस्थ सरयू मां के मूल स्वरूप का स्वागत करते आ रहे हैं। पौष माह में देश भर के तमाम संत यहां एक माह तक कल्पवास करते हैं और पौष पूर्णिमा के बाद वे प्रयाग संगम तट के लिए रवाना हो जाते हैं। अयोध्या में मां सरयू के किनारे भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पूरा विश्व आह्लादित है। 

अयोध्या में कल कल कर बहती मां सरयू में कई सहायक नदियों का प्रवाह है। कैलास मानसरोवर से निकलने वाली घाघरा आगे चलकर गंगा में मिलती है। लेकिन भारत में प्रवेश के बाद गोंडा में घाघरा का नाम परिवर्तित होकर सरयू हो जाता है। सरयू का मूल उद्गम नेपाल के काली नदी यानि लिपुलेख दर्रा व लिंपियाधुरा के पास माना जाता है। काली मंदिर के साथ इसका पानी काला है इसलिए इसे नेपाल में इसे काली नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी भारत में सरयू के नाम से जानी जाती है।

यह भी मान्यता है कि सरयू बागेश्वर जिले के उत्तरी भाग में स्थित नंदा कोट पर्वत के पास सरमूल नामक स्थान से निकलती है। शुरुआत में लगभग 50 किलोमीटर तक यह दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है और इसमें पुंगर और लाहूर नदियां गिरती हैं। फिर यह नदी दक्षिण की ओर मुड़कर बागेश्वर नगर से होकर बहती है, जहां इसका संगम गोमती से होता है। बागेश्वर से निकलने के बाद अगले 65 किमी यह मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व दिशा में बहती है।

अपने मुख से 20 किलोमीटर ऊपर इसका मिलन रामगंगा से होता है, जो आकार में इससे तीन गुना बड़ी है। लगभग 130 किलोमीटर लम्बी यात्रा तय करके सरयू नेपाली सीमा पर पंचेश्वर पहुँचती है, जहाँ यह काली नदी में गिर जाती है। इसके बाद इसका प्रवाह आगे बढ़ता है और गोंडा जिले के करनैलगंज के दक्षिण में बहते हुए सरयू नदी पौराणिक स्थल अगस्य मुनि के तपोस्थली सकरौरा से प्रवाहित होकर भगवान बाराह की अवतार स्थली पसका सूकर खेत में घाघरा से मिलती है। इस संगम स्थल को त्रिमुहानी घाट कहते हैं। यहीं पर गुरु नरहरि दास का आश्रम है और भगवान बाराह का मंदिर है। डा भगवदाचार्य कहते हैं कि हिरण्याक्ष नाम का एक दैत्य था।

उसे पूरी पृथ्वी पर शासन करने की इच्छा थी। इसलिए वह पृथ्वी को लेकर समुद्र में जाकर छिप गया। पृथ्वी को डूबता देख सभी देवी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि हे भगवन् आप पृथ्वी को डूबने से बचा लीजिए। क्योंकि इस पर ही संपूर्ण मानव समाज को अपना जीवन बिताना है। अगर पृथ्वी नहीं होगी तो मानव सभ्यता नहीं बचेगी। इसलिए हे करुणानिधान दीनों पर कृपा कर पृथ्वी को बचाइए। भगवान विष्णु ने सूकर का रूप धारण कर पृथ्वी के उद्धार के लिए इस राक्षस का वध किया। इसी पौराणिक महत्व के चलते यहां पर्व व स्नान की परम्परा प्राचीन काल से चली आ रही है।

आस्था के संगम में लाखों श्रद्धालु लगाएंगे डुबकी

जिला मुख्यालय से करीब 35 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित विकास खंड परसपुर में स्थित पसका संगम स्थल पर पूस मास के पूर्णिमा को लाखों श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे। माना जाता है कि यहां के त्रिमुहानी घाट पर दूर दराज से आने वाले सैकड़ों साधु सन्यासी सहित अन्य लोग भी कुटी बनाकर एक माह तक कल्पवास करते हैं। उसके बाद स्नान करके प्रयागराज की तरफ प्रस्थान करते हैं। वहां भी संगम तट पर एक माह तक कल्पवास करते हैं। इस संगम तट पर  त्रिमुहानी घाट पर स्नान करके मोक्ष प्राप्त होता है ऐसी मान्यता है। लेकिन घाट किनारे बांध बंध जाने से घाघरा का जल घाट में न आने से श्रद्धालुओं में नाराजगी भी है।

अब त्रिमुहानी की जगह तीन किमी आगे मिलती है सरयू व घाघरा

पसका सूकर खेत के संगम तट के पास घाघरा व सरयू के बीच बांध बनने की वजह से हजारों वर्षों से बना संगम स्थल केवल सरयू का जल ही लोगों को नसीब होता है। त्रिमुहानी घाट की जगह करीब तीन किमी दूर सरयू और घाघरा का संगम होता है। कम जल प्रवाह होने के कारण कल्पवास स्थल पर घाट किनारे में कीचड़ होने से स्नान करने में लोगों को दिक्कत होती है। घाट के किनारे कीचड़ होने से लाखों की संख्या में जुटने वाली भीड़ को स्नान करने में असुविधा होती है। 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम प्रतिष्ठित होंगे तो लाखों लोग त्रिमुहानी घाट पर स्नान दान करेंगे। यह स्नानदान का पर्व पौष पूर्णिमा 25 जनवरी तक लगातार चलेगा।

पुलिस की सतर्कता से बंद हुई वसूली

मेले में आए लोगों से वसूली की बात सामने आई है। चौकी प्रभारी सोम प्रताप सिंह ने बताया कि सभी लोगों को सचेत किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति से पैसों की मांग की जाती है तो तुरंत चौकी पर सूचना दें। सोम प्रताप सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति की शिकायत पर मुकदमा पंजीकृत कर वसूली करने वाले को जेल भेजा गया है।

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