पीलीभीत: राम जन्मभूमि आंदोलन... राम ज्योति पहुंचते ही पड़ गई दबिश, चकमा देकर निकल गए थे बांकेलाल
खरदाई गांव से मीरपुर रतनपुर होते हुए पहुंचाई दियोरियाकलां, ग्रामीणों ने किया स्वागत
पीलीभीत/दियोरिया कलां। नब्बे के दशक में चले श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहने वाले कार सेवकों में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खासा उत्साह है। रामलला की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन दीपोत्सव की तैयारियां कर ली गई है। इन सबके बीच उस वक्त की राम नाम की अलख जगाने वालों में ग्राम पैनिया हिम्मत के निवासी बांकेलाल सक्सेना का योगदान भी अहम रहा। जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन के समय गांव पैनियां हिम्मत निवासी बांके लाल सक्सेना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में बीसलपुर के मंडल कार्यवाह पद की कमान संभाले हुए थे। इसके अलावा सरस्वती शिशु मंदिर गोबल पतिपुरा के प्रधानाचार्य भी थे। उन्होंने बताया कि संघ के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए एक वाहन भी आया था।
जिसमें अयोध्या की वीडियो व तस्वीरें दिखाई जातीर थी। इस वाहन को गांव-गांव लेजाकर जनजागरण अभियान चला, जिसका हिस्सा वह भी रहे। 60 वर्षीय बांके लाल सक्सेना का कहना है कि उस वक्त एक प्रत्येक हिन्दू परिवार से एक -एक रुपया व पूजित एक-एक ईंट अयोध्या भिजवाने की व्यवस्था करने को लेकर आदेश मिले थे। जिसके बाद श्रीराम ज्योति घुमाने का दायित्व भी मिला। साइकिल पर सवार होकर पुलिस से बचते हुए घर-घर राम ज्योति पहुंचाई।
एक किस्सा बताते हुए बोले कि राम ज्योति लेकर अन्य राम भक्तों के साथ वह खरदहाई गांव पहुंचे थे। इसी बीच पुलिस के पहुंचने की सूचना प्राप्त हुई। इस पर कुछ ही मिनटों में राम ज्योति सुरक्षित लेकर मीरपुर रतनपुर के लिए पुलिस को चकमा देकर साथी कारसेवकों संग निकल गए। वहां से दियोरियाकलां ठाकुरद्वारा पहुंचते ही राम ज्योति का भव्य स्वागत किया गया।
उस वक्त उनके द्वारा लिखी गई कविता हिंदू वीर जाग उठो,यह महायुद्ध की बेला है.. काफी चर्चित रही थी। इसे पूर्व मंत्री रामसरन वर्मा की जनसभा में सुनाया भी गया था। अब साढ़े तीन दशक बाद अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को ऐतिहासिक बनता देख काफी हर्ष हो रहा है। इसे भव्य रुप से मनाया जाएगा। बता दें कि बांकेलाल सक्सेना वर्तमान में सरस्वती शिशु मंदिर बरेली में तैनात हैं।
पुलिस को चुनौती देकर निकल गए थे रामसरन भोजवाल
श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन में यूं तो तमाम लोगों ने संघर्ष किया और जेल गए। इन्हीं में एक थे नगर के रामसरन भोजवाल। उन्होंने नब्बे के दशक में राम नाम की अलख जगाने के लिए काम किया। उनका तो निधन हो चुका है, लेकिन बेटे देवदत्त सक्सेना रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से काफी खुश हैं।
बताते हैं कि लाल कृष्ण अडवाणी की अगुवाई में जब सोमनाथ से रामरथ यात्रा शुरू हुई,तो इन्होंने अपनी छत के ऊपर लाउडस्पीकर रखकर खुले आम नारे लगाए। इसे लेकर हंगामा बढ़ा तो पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। वह श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रहे। इसके बाद उन्हें भाजपा का नगराध्यक्ष भी बनाया गया था।
अगस्त 2016 में इनका निधन हो गया। उनके बेटे का कहना है कि पिता कभी भी हिंदुत्व के काम करने से पीछे नहीं हटे। कार सेवा के लिए अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच पुलिस ने दबिश दी। उस वक्त कई अन्य रामभक्त भी मौजूद थे।
पुलिस से यह कहते हुए कि वह तो जरुर अयोध्या जाएंगे..पड़ोसी पड़ोसी रामआसरे कटियार की छत पर छलांग लगाकर भाग गए थे। इसके बाद पीलीभीत गए और अन्य वरिष्ठ नेताओं संग अयोध्या पहुंच गए थे। अब पूरा परिवार उस वक्त संघर्ष के ऐतिहासिक बनने पर उत्साहित है।
यह भी पढ़ें- पीलीभीत: 36 घंटे से सड़िया गांव के इर्द गिर्द घूम रही बाघिन, ग्रामीणों में दहशत...हाईवे किया जाम
