पीलीभीत: 36 घंटे से सड़िया गांव के इर्द गिर्द घूम रही बाघिन, ग्रामीणों में दहशत...हाईवे किया जाम
दो पालतू सुअरों व बकरी को बनाया निवाला, चंद वनकर्मियों के हवाले सुरक्षा की जिम्मेदारी
पीलीभीत, अमृत विचार। जंगल से निकली बाघिन पिछले 36 घंटे से गांव सड़िया के इर्द-गिर्द घूम रही है। बाघिन द्वारा गांव में घुसकर दो पालतू सुअरों और एक बकरी को निवाला बनाए जाने के बाद ग्रामीणों को गुस्सा फूट पड़ा। गुस्साएं ग्रामीणों ने पीलीभीत-बीसलपुर हाईवे पर जाम लगा दिए। बमुश्किल पुलिस ने समझाबुझाकर ग्रामीणों से जाम खुलवाया। बाघिन सुबह से गांव से एक फर्लांग दूर गन्ने के खेत में डेरा जमाए बैठी है।

बाघिन को देखने के लिए सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ मौके पर जमा रही। महज चंद वनकर्मियों द्वारा कराई जा रही निगरानी को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इधर दोपहर बाद सीसीएफ ललित वर्मा ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और डीएफओ को लगातार मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए। फिलहाल पूरे गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों को कहना है कि यदि बाघिन को जल्द नहीं पकड़ा गया तो कोई भी अनहोनी हो सकती है।
कलीनगर क्षेत्र के गांव अटकोना से रेस्क्यू की गई बाघिन वन महकमे के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। दो दिन पूर्व शहर के असम चौराहे के समीप दहशत फैलाने वाली बाघिन ने उसी रात चार किमी दूर गांव सड़िया में दस्तक दी थी। बाघिन ने तड़के करीब तीन बजे गांव के पप्पू के पालतू पशुओं के बाड़े पर धावा बोलकर एक पालतू सुअर को मार डाला और एक सुअर को खींचकर ले गई। जबकि एक सुअर हमले में बुरी तरह घायल हो गया।

इसके बाद बाघिन ने करीब पांच गांव के हरी सिंह के घर के बाहरी हिस्से में बंधी बकरी को निवाला बना डाला। सूचना पर सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीम मौके पर पहुंची और कुछ देर बाद ही वापस चली गई। तबसे बाघिन गांव के ईद-गिर्द ही घूम रही है। बाघिन की मौजूदगी से गांव में खासी दहशत है। बताते हैं कि बाघिन कहीं हमला न कर दें अधिकांश ग्रामीणों की रात जागकर की गुजरी।
बाघिन की मौजूदगी के बाद भी मौके पर महकमे का कोई जिम्मेदार अफसर न पहुंचने से आक्रोशित ग्रामीण शनिवार करीब 11 बजे पीलीभीत-बीसलपुर हाईवे पर जा धमका। यहां आक्रोशित ग्रामीणों ने हाईवे पर जाम लगा दिया और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सूचना मिलते ही पुलिस फोर्स भी मौके पर पहुंच गया।

ग्रामीणों को बमुश्किल समझाबुझाकर जाम खुलवाया गया। इसके बाद ग्रामीण वापस गांव आ गए। शनिवार दोपहर को मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के साथ दोपहर बाद गांव पहुंचे। गांव पहुंचकर उन्होंने पूरी स्थिति का जायजा लिया और मौके पर मौजूद उप प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव को टीमें बनाकर लगातार निगरानी करने के साथ सुरक्षा के लिए खाबड़ लगाने के भी निर्देश दिए।
तो तड़के पहुंची गन्ने के खेत में
सड़िया गांव देवहा नदी के किनारे बसा हुआ है। बाघिन गांव से चंद कदम दूर राजेंद्र के गन्ने में खेत में डेरा जमाए हुए हैं। बताते हैं कि बाघिन सुबह पांच बजे के बाद गन्ने के खेत में पहुंची है। कुछ ग्रामीणों ने बाघिन के गन्ने के खेत में घुसने का वीडियो बनाकर भी वायरल कर दिया। सूचना मिलने पर सामाजिक वानिकी प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने मौका मुआयना करने के बाद टीम को लगातार निगरानी करने के निर्देश दिए। फिलहाल सुबह से लेकर दोपहर तक मात्र चंद वनकर्मी ही गन्ने के खेत के पास मोर्चा संभालते देखे गए।

सैकड़ों की भीड़ भी डाले रही डेरा
गांव सड़िया में गन्ने के खेत में बाघिन होने की जानकारी गांव के अलावा आसपास के गांवों में पहुंच गई। देखते ही देखते मौके पर गांव के अलावा आसपास गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों मौके पर पहुंच गए। गांव में ही ऊंचे टिल्ले पर खड़ी भीड़ में शामिल हर कोई गन्ने के खेत ही ओर ही टकटकी लगाए देखा गया। वहीं खेत के दूसरी तरफ देवहा नदी के किनारे भी ग्रामीण डटे देखे गए।
हर तरफ लोग बाघिन की ही चर्चा करते देखे गए। कुछ दूरी पर ही महिलाएं भी डेरा जमाए देखी गई। जब भी कोई गाड़ी गांव में घुसती, ग्रामीणों के मुंह से बस एक ही बात निकल रही थी कि क्या टीम आ रही है, बाघिन कब पकड़ी जाएगी। गांव में मौजूद पुलिस फोर्स बार-बार ग्रामीणों की भीड़ को नियंत्रित करते देखा गया। बाघिन को लेकर हर किसी के चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। करीब दो बजे एसडीएम सदर देवेंद्र सिंह भी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों एवं निगरानी में लगे वनकर्मियों से जानकारी ली। उन्होंने उप प्रभागीय वनाधिकारी से फोन पर वार्ता करने के बाद वनकर्मियों से लगातार निगरानी करने की बात कही।
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न खाबड़ न कोई इंतजाम, महज डंडे के सहारे निगरानी
गांव सड़िया में बाघिन की लगातार मौजूदगी के बाद भी महज चंद वनकर्मियों के सहारे मॉनीटरिंग कराई जा रही है। अमूमन ऐसी स्थिति में खाबड़ (जाल) लगा दिया जाता है, ताकि बाघिन गांव की ओर न रुख सके। मगर, टीम द्वारा दोपहर बाद तक किसी भी स्थान पर खाबड़ नहीं लगाई गई। निगरानी के नाम पर कुछ वॉचर पास के ही एक गन्ने के खेत में बैठे बातचीत में मशगूल देखे गए। उप प्रभागीय वनाधिकारी अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बाघिन जिस गन्ने के खेत में बैठी है, वहां नाला बह रहा है। नाले की वजह से ही खाबड़ नहीं लगाई गई।
कमलापुर बंगाली कॉलोनी में भी दी थी दस्तक
बाघिन ने शुक्रवार देर रात गांव सड़िया से निकलकर कमलापुर बंगाली कॉलोनी में भी दस्तक दी थी। बाघिन पहुंचने का शोर मचते ही ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। सूचना मिलने के बाद रात में ही जिरौनिया पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की। कॉलोनी के अधिकांश परिवारों ने दहशत के चलते रात जागकर काटी। इधर जब कॉलोनी के लोगों को बाघिन के गांव सड़िया में पहुंचने की जानकारी हुई, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
बाघिन की लगातार निगरानी की जा रही है। मुख्य वन संरक्षक ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने सामाजिक वानिकी प्रभाग को टीमें बनाकर लगातार बाघिन की मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए। बाघिन पर निगाह रखी जा रही है। स्थिति को देखकर ही आगे कार्रवाई की जाएगी। - नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व
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