सुलतानपुर: श्रीराम और अयोध्या से कुशभवनपुर का है गहरा नाता, प्रभु के वन गमन पथ का पहला पड़ाव था सीताकुंड घाट 

सजधजकर तैयार है हो रहा स्थल, प्राण प्रतिष्ठा पर होंगे विविध आयोजन 

सुलतानपुर: श्रीराम और अयोध्या से कुशभवनपुर का है गहरा नाता, प्रभु के वन गमन पथ का पहला पड़ाव था सीताकुंड घाट 

सुलतानपुर। कुशभवनपुर या कुशपुर (अब सुलतानपुर) का मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और अयोध्या नगरी से गहरा नाता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि श्रीराम के ज्येष्ठ पुत्र कुश महाराज ने कोशल राज्य के दक्षिण इस नगर को बसाया, बल्कि इसलिए भी क्योंकि श्रीराम के वन गमन पथ का यहां का गोमती तट प्रमुख पड़ाव था। अयोध्या में नव निर्मित राम मंदिर में श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कुशनगरी के लोग आतुर है। उत्सव को यादगार बनाने को हमारे धार्मिक व पौराणिक स्थल तैयार किए जा रहे हैं। 

जिला मुख्यालय पर आदि गंगा गोमती के दक्षिणी तट पर स्थित रामायणकालीन सीताकुंड घाट ऐतिहासिक धरोहर है। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह आस्था का केंद्र है। ये वह स्थल है जहां श्रीराम ने वनगमन के वक्त सीता एवं लक्ष्मण के साथ रात्रि विश्राम किया था। प्रदेश के पर्यटन महकमे ने इसे मान्यता प्रदान की है। आज भी हर साल अयोध्या से संतों की टोली शृंगवेरपुर के लिए निकलती है और सीताकुंड घाट पर रात्रि विश्राम करके उन स्मृतियों को जीवंत करती है। 

सीताकुंड घाट का रामायण व रामचरित मानस में भी जिक्र है कि जब श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मिला तो वे अयोध्या से वनगमन के लिए सीता एवं लक्ष्मण के साथ निकल पड़े। उन्होंने तमसा तट पार किया और फिर दक्षिणी दिशा में आदिगंगा गोमती के तट पर पहुंचकर रात्रि विश्राम किया। विद्वानों की मानें तो यही वह स्थल है। सदियों से इसे सीताकुंड घाट के रूप में जाना जाता है।

ब्रिटिश कालीन ‘गजेटियर ऑफ अवध‘ में भी इसका जिक्र है। सिक्खों के प्रथम गुरु नानक देव व गुरुतेग बहादुर ने भी जब देशाटन के लिए निकले तो उन्होंने सीताकुंड घाट के महत्व को समझा और यहां रात्रि विश्राम किया। सिक्ख भी इसे तीर्थस्थल का दर्जा देते हैं। पर्यटन एवं संस्कृति विभाग ने सीताकुंड घाट की सुधि तो ली, पर देर से। यहां श्रीराम के पुत्र कुश की विशालकाय भव्य प्रतिमा यहां स्थापित की गई है। ‘सुलतानपुर का इतिहास‘ पुस्तक में है कि हर्ष के शासनकाल में जब चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया तो उसने भी सीताकुंड घाट का अवलोकन किया था। उसने अपनी डायरी में इसके महत्व को अंकित किया। 

18 को पहुंचेगी चरण पादुका यात्रा 

संस्कृति विभाग उप्र के आयोजन में भरतकूप चित्रकूट 15 जनवरी को निकलने वाली रामोत्सव अयोध्या श्रीराम राम चरण पादुका यात्रा 18 जनवरी को जिले में रात्रि विश्राम है। श्रीराम वनगमन पथ मार्ग पर पड़ने वाले सुलतानपुर में इस दिन पादूका पूजन एवं दर्शन होंगे। गोमती नदी का कलश में जल संग्रह, स्थानीय लोक कलाकारों की प्रस्तुति, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ रात्रि विश्राम कर अगले दिन यात्रा अयोध्या को निकलेगी। यह यात्रा 19 जनवरी को अयोध्या में पहुंचना है। 

22 को 5100 दीपों से जगमग होगा सीताकुंड धाम 

अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में आयोजित होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दिन 22 जनवरी को गोमती मित्र मंडल समिति की ओर से सीताकुंड धाम पर विविध आयोजन किए जाएंगे। पूरे परिसर में झालरों की सजावट, साढ़े 12 बजे से श्री सुंदरकांड पाठ का आयोजन, 2 बजे से भजन संध्या, 5 बजे 5100 दीपों से दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष रुद्र प्रताप सिंह मदन व मीडिया प्रभारी रमेश माहेश्वरी ने बताया कि इस ऐतिहासिक दिन को अविस्मरणीय बनाने के लिए पूरे शहर के लोगों को आमंत्रित किया गया है। 

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