बदायूं: हत्या और कातिलाना हमले मामले में सुनाई सजा, छह दोषियों को आजीवन कारावास
बदायूं, अमृत विचार: हत्या और कातिलाना हमला करने के छह आरोपियों को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश दीपक यादव ने आजीवन कारावास और हर किसी पर एक लाख 39 हजार 400 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। जुर्माना की आधी धनराशि वादी को देने का आदेश दिया गया है। आरोपी अरविंद की पत्रावली अलग चल रही थी। उसे 20 साल की सजा सुनाई गई है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार गांव करनपुर निवासी राजेश कुमार ने 27 अगस्त 2017 को थाना उघैती पुलिस को तहरीर दी थी। जिसमें उन्होंने बताया कि उसी दिन शाम लगभग 6 बजे गांव के ही उनके परिवार के गिरीश पुत्र नरेश और सौरभ पुत्र रवि शंकर उर्फ राजू के बीच दीन मोहम्मद की दुकान के सामने सड़क पर हंसी मजाक के दौरान कहासुनी हो गई थी।
जिसके बाद मारपीट शुरू हो गई। आसपास मौजूद लोगों ने बीच बचाव करा दिया था। जिसके बाद रात लगभग साढ़े 8 बजे राजेश कुमार की बेटा-बेटी सलोनी व पवन रवि शंकर की डेयरी से दूध लेने गए थे। जहां सौरभ और उसका भाई सचिन उर्फ सूर्यकांत, रवि शंकर व हरिशंकर मिले। सौरभ ने पवन से गिरीश के बारे में पूछा। कहा कि वह क्यों नहीं आया।
आज उसका देखना है कि वह कितना बड़ा गुंडा है। सौरभ ने पवन को गाली दी और धक्का देकर गिरा दिया। सलोनी चिल्लाई। आवाज सुनकर राजेश कुमार आ गए। हरिशंकर ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। रविशंकर और उसके बेटे सौरभ व सचिन ने लाठी-डंडों से राजेश कुमार और उनके बेटा-बेटी को पीटना शुरू कर दिया।
शोर सुनकर मोहल्ले के सर्वेश कुमार, प्रवेश कुमार, आशुतोष कुमार, ऋषभ और अन्य लोग आ गए। रवि शंकर के परिवार के लोग लाठी-डंडे और तमंचा ले आए। कहा कि आज किसी को बचकर नहीं जाने देंगे और लाठी-डंडे चलाने लगे।
रवि शंकर ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से फायर किया। जो सलोनी को लगा। हरिशंकर ने तमंचे से फायर किया। गोली सर्वेश को लगी। अन्य लोग भी घायल हो गए थे। सलोनी और सर्वेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान सलोनी की मौत हो गई।
न्यायालय में हरिशंकर, रवि शंकर पुत्र मूलचंद शर्मा, मुनेंद्र व जयप्रकाश पुत्र किशोरी लाल, मोहर उर्फ वेद प्रकाश पुत्र रामजी लाल, सचिन व सूर्यकांत पुत्र रवि शंकर के खिलाफ हत्या और कातिलाना हमने के आरोप मुकदमा चलाया गया।
न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। अभियान पक्ष की विशेष लोक अभियोजक अमोल जौहरी और बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद सभी को दोषी पाते हुए सजा सुनाई है। इसी मुकदमे में एक अन्य आरोपी अरविंद की पत्रावली अलग होने पर उसे भी 20 साल की सजा सुनाई है।
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