KGMU के आसपास नशे का कारोबार, मरीज ही बेंच रहे नशे की टेबलेट, अस्पताल के बाहर लगता है नशेड़ियों का जमावड़ा

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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पंकज द्विवेदी/लखनऊ, अमृत विचार। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के आसपास नशे के सौदागरों का जाल है। युवाओ को पहले इसकी लत लगवाई जा रही है, बाद में इन्हें स्मैक व अन्य नशे से सम्बंधित चीजें उपलब्ध कराकर कमाई का जरिया बना लिया गया है। अब यह एरिया इतना बदनाम हो चुका है कि दूर-दूर से नशे के आदी युवाओं ने अपना अड्डा बना लिया हैं। इन्हें आसानी से नशे का सामान उपलब्ध हो जाता है। इसमें शहर के कई संभ्रांत परिवारों के भी युवक- युवतियां शामिल हैं। 

एविल इंजेक्शन में स्मैक घोल कर सीधे नसों में लगा रहे 

वैसे तो इन नशेड़ियों ने लारी कॉर्डियोलॉजी, मानसिक रोग विभाग, ट्रॉमा सेंटर और शताब्दी अस्पताल के फुटपाथ को अपना ठिकाना बनाया हुआ है। सबसे  अधीक शताब्दी के बाहर फुटपाथ पर लगे पेड़ों के आड़ में यह दिख जायेंगे। नशा तेज करने के लिए 10 एमएल के एविल इंजेक्शन में एक पुड़िया स्मैक घोलकर सीधे नसों में लगा रहे है। सीधे खून में घुलने से स्मैक की काम मात्रा भी अधिक नशा दे रही है।

इस फार्मूले पर लगा रहे इंजेक्शन 

बातचीत में एक नशेड़ी युवक ने बताया कि स्मैकिए 10 एमएल एविल इंजेक्शन से 5 एमएल सीरिंज में निकाल लेते हैं। बचे हुए 5 एमएल एविल इंजेक्शन में एक पुड़िया स्मैक डालकर इंजेक्शन की शीशी में गर्म करते हैं। जब स्मैक इंजेक्शन में घुल जाती है तब सीरिंज में निकालकर अलग रखे गए 5 एमएल एविल इंजेक्शन को स्मैक के घोल में मिलाकर अपनी नसों में लगा लेते हैं। इससे करीब 12 घंटी तक तेज नशा रहता है।  

मरीज ही बेंच रहे नशे की टेबलेट 

नशा करने वाले एक युवक ने बताया कि मानसिक रोग विभाग में भर्ती नशे के आदी मरीजों को ऐसे टेबलेट खिलाई जाती हैं जो शरीर में नशे को पूरा करते हैं इससे उसे नशा अचानक से छोड़ने में होने वाली दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती है। धीरे- धीरे इसका डोज कम कर दिया जाता हैं। ये टेबलेट खिलाने के दौरान मेडिकल स्टॉफ के सामने यह खाने का नाटक करते हैं। 

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जबकी नशे की गोलियों को वह मुंह में ही छिपा लेते है। स्टॉफ के जाने  के बाद वह गोलियों को मुंह से निकाल कर सुखा लेते हो। बाद में इन्हीं गोलियों को स्टॉफ की नजरों से छिपकर अस्पताल के बाहर स्मैकियों को 50  से 70 रूपये में बेंच देते है। स्मैकिए इन गोलियों को एविल इंजेक्शन में मिला कर नसों में लगा लेते हैं। 

स्मैक तस्करों से अधिक कमा रहे मेडिकल स्टोर 

 नियम है कि  मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर के पर्चे के एविल इंजेक्शन नहीं बिकना चाहिए। लेकिन कई मेडिकल स्टोर संचालक सारे नियम कानून ताक पर रखकर नशेड़ियों को एविल इंजेक्शन प्रिंट रेट से चार गुना अधिक दाम पर में बेच रहे हैं। नशेड़ियों को अपना स्थायी ग्राहक बनाने के लिए सीरिंज व कॉटन फ्री दे रहे हैं। 

इस केस से भी जिम्मेदारों ने नहीं लिया सबक 

अभी हाल ही में सेवानिवृत्त पुलिस अफसर की बेटी को केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग के पास से नशेड़ी युवक वैन से साथ ले गए थे। रास्ते मे उसे जबरन नशा देकर चलती वैन में गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। तब पुलिस जांच में यह भी सामने आया था कि केजीएमयू के आसपास नशे का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। इसके बाद भी पुलिस मामले में कार्रवाई करने से बच रही है।

बिना प्रशिक्षण के इंजेक्शन लगाने से जान का खतरा  

सिविल अस्पताल के फिजीशियन डॉक्टर कुलदीप वर्मा  का कहना है कि स्मैकिए बिना किसी ट्रेनिंग के खुद इंजेक्शन लगा रहे हैं। गलत जगह इंजेक्ट होने से नसों व मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है। एक सीरिंज से 2 या 3 नशेड़ी इंजेक्शन लगा रहे हैं। इससे एड्स जैसे खतरनाक रोगों की चपेट में आ सकते हैं। सीधे नसों में स्मैक जाने से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।

केजीएमयू के आसपास स्मैक तस्करी हो रही है इसकी जानकारी नहीं है। टीम भेज कर कार्रवाई कराई जाएगी..., राजकुमार एसीपी चौक।

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