Maghi Purnima 2024: माघी पूर्णिमा पर हजारों श्रृद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी…यहां जानें- दान करने का महत्व
कानपुर में माघी पूर्णिमा पर हजारों श्रृद्धालुओं ने गंगा में लगाई डुबकी
कानपुर, अमृत विचार। माघी पूर्णिमा पर शनिवार को हजारों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगा रहे है। माघ मेले से पहले ही पुलिस-प्रशासन ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली थी। कई घाटों पर मेला भी लगा हुआ है। माघी पूर्णिमा पर स्नान के लिए नगर के कई घाटों पर भीड़ उमड़ी। घाटों पर स्नान के साथ दान-पुण्य, पितृ दान और तर्पण आदि किए जाते हैं। सरसैया घाट पर मेला भी लगता है।

बीते शुक्रवार से ही सड़क पर दुकानें लगनी शुरू हो गई हैं। गंगा बैराज पर भी स्नान घाट पर सफाई की गई है। भैरोघाट पर सफाई की गई। इसके साथ ही भोग, प्रसाद और पूजा सामग्री समेत खिलौनों की दुकानें भी लग गई हैं। भगवतघाट पर सीढ़ियों पर काफी मिट्टी, गंदगी फैली दिखी। घाट के आसपास बड़ी-बड़ी घास खड़ी है।

दान का बहुत महत्व
माघी पूर्णिमा की मान्यता के अनुसार सूर्य उदय होने से पहले उठकर किसी नदी या तीर्थ स्नान पर जाकर स्नान करें, फिर उगते सूर्य को तांबे के लोटे से जल दें। जल में लाल चंदन मिलाना चाहिए। अगर तीर्थ स्थान या नदी न पहुंच पाए तो घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें, इससे तीर्थ जैसा पुण्य प्राप्त होता है।
यह भी मान्यता है कि माघी पूर्णिमा पर उपवास रखने से सुख-सौभाग्य, धन-संतान व स्वास्थ्य सुख की प्राप्ति होती है। भोजन, कपड़े, तिल, गुड़, घी, फल आदि के दान से गोदान का फल प्राप्त होता है। इस दिन तिल और कंबल का दान का भी महत्व है। आचार्यों के अनुसार माघ माह की पूर्णिमा को चंद्रमा मघा नक्षत्र में रहता है। यह पितरों का नक्षत्र माना गया है। इसी कारण इस दिन श्राद्ध से पितरों को तृप्ति मिलती है।
पूर्णिमा तिथि 23 फरवरी को दोपहर 3:33 बजे से शुरू हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन 24 फरवरी को शाम 5: 59 बजे होगा। मान्यता के अनुसार उदया तिथि को ही मान्य किया गया है। इसलिए माघ पूर्णिमा शनिवार 24 फरवरी को ही मानी जाएगी।- पंडित मनोज कुमार द्विवेदी
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