बरेली: टीले की खोदाई में निकले 3100 साल पुराने 'मानव कंकाल', दो कमरों का मकान भी मिला

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Published By Vishal Singh
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प्रीति कोहली/बरेली, अमृत विचार। महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय परिसर में स्थित प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग का पांचाल संग्रहालय रुहेलखंड की विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को खुद में समेटे हुए है। जिसमें प्राचीन अवशेष, मूर्तियां और पांडुलिपियों जैसी तमाम ऐसी अन्य वस्तुएं संजोकर संरक्षित की गई हैं। वहीं इस संग्रहालय में उन्मुक्त विरासत वीथिका और स्वतंत्रता सेनानी वीथिका की तरह ही अभयपुर उत्खनन वीथिका भी स्थापित की गई है। 

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6 फीट लंबाई वाले एक कंकाल के थे 32 दांत
दरअसल, पीलीभीत जनपद में बीसलपुर तहसील क्षेत्र के अभयपुर गांव स्थित एक टीले का साल 2004 से 2008 तक उत्खनन कराया गया था। जिसमें कार्बन पद्धति के मुताबिक करीब तीन हजार एक सौ साल पुराने दो अद्भुत मानव कंकाल और अन्य पुरातात्विक अवशेष मिले थे। इनमें से 6 फीट लंबाई वाले एक कंकाल के 32 दांत थे, वहीं एक 2 साल के बच्चे का भी कंकाल मिला था। जिन्हें अभयपुर मैन नाम से जाना जाता है। जिन्हें बेहद अच्छी तरह से संजोकर इस पांचाल संग्रहालय में रखा गया है। जबकि इस गैलरी को अभयपुर उत्खनन वीथिका नाम दिया गया है। जिसमें प्रकाश के लिए फोकस लाइट, एलईडी टीवी, आधुनिक शोकेस, छायाचित्र और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

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2003-04 में मिला उत्खनन के लिए लाइसेंस
बता दें कि अभयपुर वीथिका में रखे तमाम ऐतिहासिक अवशेषों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। जो अभयपुर से जुड़ी विभिन्न दिलचस्प कहानियों को जानकर इतिहास से प्यार कर बैठते हैं। वहीं अभयपुर गांव और अभयपुर मैन के बारे में पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेमंत मनीषी शुक्ला बताते हैं कि हेरिटेज ऑफ इंडिया ने साल 2003-04 में रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग को पहली बार उत्खनन के लिए लाइसेंस जारी किया था। जिसके बाद विभाग की टीम ने प्रोफेसर उदय प्रकाश अरोड़ा और पुरातत्वविद डॉ अनूप रंजन मिश्रा के नेतृत्व में अभयपुर गांव में उत्खनन शुरू किया।

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घर के आंगन में शवों को दफनाया गया था
पांचाल संग्रहालय से करीब 40 किलोमीटर दूरी पर पीलीभीत जनपद में बीसलपुर तहसील क्षेत्र के अभयपुर गांव में खोदाई के दौरान पहले एक खेत में दो कमरों का पूरा घर मिला। जिसमें किचन, बेडरूम समेत सब कुछ था। जिसकी उत्तर-पूर्व दिशा, जिसमें आज के दौर में हम मंदिर की स्थापना करते हैं या पानी के लिए नल लगवाते हैं, उस जगह पर एक कुआं था। इसके साथ ही घर के आंगन में दक्षिण दिशा में पैर करके शवों को दफनाया गया था।

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इसके पास से ही करीब ढाई साल के बच्चे का भी शव मिला था। इन दोनों शव को लकड़ी के ताबूत में सुरक्षित लाकर टीम ने संग्रहालय में संजोकर रखा है। संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट बताते हैं कि कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सेमिनार में अभयपुर उत्खनन वीधिका पर रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए गए हैं। कुल मिलाकर यह गैलरी पांचाल संग्रहालय के लिए भाग्यशाली साबित हुई है। क्योंकि इससे संग्रहालय को प्रसिद्धी मिली है।

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