शाहजहांपुर: नव साक्षरों ने दिखाया जज्बा, परीक्षा देने को पहुंचे 2846 नव साक्षर
567 केंद्रों पर 1257 पुरुष और 1589 महिलाएं परीक्षा में हुईं शामिल
शाहजहांपुर, अमृत विचार। कहते हैं कि किसी भी काम को करने के लिए उम्र बाधक नहीं होती, सिर्फ काम करने और सीखने की ललक होनी चाहिए। ऐसा ही कुछ रविवार को परिषदीय स्कूलों में देखने को मिला। मौका था नव साक्षरता परीक्षा का। इस परीक्षा में नव साक्षर बने 2846 महिलाओं और पुरुषों ने प्रतिभाग करते हुए अपनी योग्यता दिखाने के सहभागिता की। नव साक्षरों में खासतौर पर महिलाओं में खासी उत्साह देखा गया।
पढ़ने की इच्छा उन लोगों में बढ़ती जा रही है, जो किन्हीं कारणों से अपनी उम्र में स्कूल नहीं जा सके और अब उन्हें शिक्षित होने का मन हो रहा है। ऐसे ही 15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को साक्षर बनाने के लिए नव भारत साक्षरता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत स्वयंसेवी लोग अपने क्षेत्र में निरक्षर लोगों को चिन्हित कर उन्हें उनके सुविधानुसार समय पर पढ़ाने जाते हैं। आसपास के लोगों को एक स्कूल में बुला लिया जाता है और उन्हें दस्तखत करने समेत अक्षर ज्ञान कराया जाता है।
पढ़ाई में रुचि पैदा करने का काम भी स्वयंसेवी ही करते हैं। हालांकि इस पुनीत कार्य के लिए स्वयंसेवियों को कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता है, सिर्फ उनका शौक पूरा होता है। बाद में ऐसे लोगों की परीक्षा कराकर उनकी योग्यता परखी जाती है। रविवार को ऐसे ही नव साक्षरों की परीक्षा कराई गई। शिक्षित होने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने अधिक रुचि ली।
साक्षरता प्रभारी इंद्रजीत ने बताया कि नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को जिले के 567 परिषदीय स्कूलों में नव साक्षरों की परीक्षा कराई गई, जिसमें 1257 पुरुष और 1589 महिलाएं शामिल हुईं। जितनी तन्मयता से बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों ने साक्षर बनने में रुचि दिखाई और शिक्षा प्राप्त की, उसी उत्साह और जज्बे के साथ होली जैसे त्योहार की तैयारियां और घर के काम-काज छोड़ कर सभी ने परीक्षा देने के लिए अपने केंद्र पर पहुंचने में रुचि दिखाई।
साक्षरता सेल की ओर से सभी को कापी-पेन आदि उपलब्ध कराया गया। स्कूल के प्रधान अध्यापक केंद्र व्यवस्थापक बने और शिक्षकों ने कक्ष निरीक्षक की जिम्मेदारी निभाई। इतना ही नहीं, मुक्त परीक्षा के लिए खंड शिक्षा अधिकारियों ने अपने विकास खंड के स्कूलों का भ्रमण कर न सिर्फ व्यवस्थाएं देखीं, बल्कि विशेष प्रकार के परीक्षार्थी बने महिलाओं और पुरुषों का उत्साहवर्धन भी किया।
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