Bareilly News: रबड़ फैक्ट्री की 1400 एकड़ जमीन पर औद्योगिक हब बनाने की तैयारी शुरू
अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार। बॉम्बे हाईकोर्ट में रबड़ फैक्ट्री की 14 सौ एकड़ जमीन पर स्वामित्व का फैसला होना हालांकि अभी बाकी है लेकिन राज्य सरकार ने इसे औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद शासन ने 14 जून को लखनऊ में बैठक बुलाई है जिसमें बरेली की कमिश्नर सौम्या अग्रवाल और डीएम रविंद्र कुमार के साथ यूपीसीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भी भाग लेंगे। अफसरों के मुताबिक इस बैठक में रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर औद्योगिक हब बनाने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार करने की योजना का खाका खींचा जाना है।
करीब 25 साल पहले बंद हुई रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर औद्योगिक हब स्थापित करने की मांग काफी समय से शासन में गूंज रही है। कई साल बाद अब जाकर इस दिशा में शासन स्तर पर पहल हुई है।
उत्तर प्रदेश शासन के संयुक्त सचिव मनोज कुमार मौर्य की ओर से बरेली के डीएम और कमिश्नर के साथ यूपीसीडा कानपुर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र जारी कर रबड़ फैक्ट्री की 1400 एकड़ खाली पड़ी जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के संबंध में 14 जून को लखनऊ के गोमतीनगर में आयोजित बैठक में भाग लेने को कहा गया है। शासन से पत्र आने के बाद अफसरों ने बैठक के लिए जरूरी होमवर्क शुरू कर दिया गया है।
अफसरों के मुताबिक 14 जून को यह बैठक औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में होगी। बैठक में किन बिंदुओं पर रबड़ फैक्ट्री की जमीन पर औद्योगिक हब विकसित करने के लिए चर्चा होगी, यह अभी साफ नहीं किया गया है लेकिन उम्मीद है कि इस योजना का ब्लू प्रिंट तैयार करने के बारे में फैसले लिए जाएंगे।
अलकेमिस्ट के पक्ष में हुआ पुराना फैसला रद्द होने के बाद बना औद्योगिक क्षेत्र का रास्ता
राज्य सरकार ने सिर्फ 3.40 लाख रुपये लेकर रबड़ फैक्ट्री बनाने के लिए 1960 में मुंबई के सेठ किलाचंद को 1382.23 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। शर्त थी कि अगर फैक्ट्री बंद होने के बाद छह महीने तक दोबारा चालू न हुई तो जमीन पर सरकार का आधिपत्य हो जाएगा। लेकिन 15 जुलाई 1999 को स्थाई रूप से फैक्ट्री बंद होने के बाद भी लीज की इस शर्त पर अमल नहीं हुआ।
फैक्ट्री पर अपना कर्ज बता रही अलकेमिस्ट रि-कंस्ट्रक्शन एसेट कंपनी ने कोर्ट जाकर जमीन को बेचने का अधिकार हासिल कर लिया। राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, कोर्ट में बताया कि कंपनी ने अहम साक्ष्य छिपाकर फैसला अपने पक्ष में करा लिया। दिसंबर 2023 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुराना फैसला रद्द कर दिया। इसके बाद जनप्रतिनिधियों और उद्यमियों ने इस जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की मांग शुरू कर दी। पूर्व सांसद संतोष गंगवार ने भी इसके लिए काफी पैरवी की थी।
औद्योगिक हब बना तो हजारों को मिलेगा रोजगार
रबड़ फैक्ट्री के कर्मचारियों के बकाया भुगतान के लिए लंबे समय से संघर्षरत एसएंडसी कर्मचारी यूनियन के महासचिव अशोक कुमार मिश्रा का कहना है कि जमीन पर औद्योगिक हब बनाने के संबंध में बैठक एक अच्छी शुरुआत है। मतलब साफ है कि सरकार इस योजना पर सहमत है। औद्योगिक क्षेत्र विकसित हुआ तो लोगों को इसका काफी फायदा मिलेगा। बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा। वह मांग करेंगे कि फैक्ट्री के कर्मचारियों के परिजनों के लिए भी इस योजना में अनिवार्य रूप से नौकरी का बंदोबस्त किया जाए।
रबड़ फैक्ट्री का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है। न्यायालय का जो भी आदेश होगा, उसके अनुरूप कार्यवाही की जाएगी। - रविंद्र कुमार, डीएम
ये भी पढे़ं- बरेली: शिकायत पर दबिश देने पहुंचा दरोगा, महिला से हाथापाई और मोबाइल तोड़ने का आरोप
