Ground Report: अकबरनगर के लोग बोले-घर खोया, रोजगार खोया अब बच्चों की है चिंता, बुल्डोजर ने कर दिये सपने चकनाचूर
इस बार नहीं मनाई बकरीद... लोगों ने नमाज भी नहीं की अदा
वीरेंद्र पाण्डेय/अंकित यादव
लखनऊ, अमृत विचार। तेज गर्मी और उड़ती धूल के बीच बसंतकुंज स्थित अपने फ्लैट के सामने सीढ़ियों के पास बैठी महिला रेशमा को बस एक ही चिंता खाये जा रही है कि उनके बच्चों का क्या होगा। क्या उन्हें भी अपना जीवन गरीबी में गुजारना पड़ेगा। अकबरनगर से विस्थापित रेशमा के बच्चों का स्कूल छूट गया है। जहां सरकार ने उनकों घर दिया है, वहां पर आसपास में कोई स्कूल नहीं होने की बात बताई जा रही है।
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बेटियों को रेशमा अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहती हैं। कहती हैं कि गार्ड की नौकरी कर वर्षों की गाढ़ी कमाई से एक मकान बनाया था, बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे थे। सोंचा था कि बेटियां पढ़ लिख जायेंगी, तो दूसरों की नौकरी नहीं करनी पड़ेगी। गार्ड की नौकरी में घंटो खड़े रहकर काम किया था। थोड़े-थोड़े पैसे जोड़कर मकान भी बना लिया था, लेकिन एक दिन बुल्डोजर ने सबकुछ खत्म कर दिया। यह बुल्डोजर केवल हमारे घरों पर नहीं चला बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य पर चला है।
छोटे-छोटे कमरे, बड़े परिवारों को हो रही मुसीबत
रेशमा ने कैमरे पर कहा है कि सरकार से उनको एक कमरे का फ्लैट मिला है, लेकिन उन्हें फ्लैट की जगह यदि झोपड़ी में भी रखा जाये तो कोई बात नहीं बस उनके बच्चों के शिक्षा की कोई व्यवस्था हो जाये तो बड़ी बात होगी। यह अकेले रेशमा की कहानी नहीं है। इसके अलावा भी कई ऐसे परिवार और भी हैं जो अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराना चाहते हैं, लेकिन बेरोजगारी में पढ़ाई कराना उनके लिए किसी बड़ी दुश्वारी से कम नहीं है।
सब्जी-राशन लेने के लिए जाना पड़ता है कई किमी दूर
दरअसल, लखनऊ के पॉश इलाके के पास अकबरनगर बसा हुआ था। यहां की ज्यादातर आबादी श्रमिक वर्ग की है। लोग रोज मेहनत मजदूरी कर अपने घरों का खर्च चलाते हैं, लेकिन अब जब उन्हें बसंतकुंज योजना स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने फ्लैटों में शिफ्ट कर दिया गया है, तो महिला से लेकर पुरुष तक की सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है।
कई फ्लैट अभी आधे अधूरे, LDA कर रहा इंतजाम
आईआईएम लिंक रोड पर स्थित बसंतकुंज योजना के पास अकबरनगर के विस्थापितों को फ्लैट मिले हैं। बताया जा रहा है कि जहां पर यह फ्लैट स्थित हैं, वहां आस पास लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। बहुत से लोगों को भागकर वहां से करीब 20 किलोमीटर दूर इंदिरानगर या फिर गोमतीनगर आना पड़ रहा है। ऐसे में कई लोग इस वजह से भी परेशान है कि दिनभर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा किराये में खर्च हो जाता है।
शुद्ध हवा और बच्चों के खेलने के लिए बनें है पार्क
अरशद बताते हैं कि अकबरनगर में सभी समुदाय के लोग रहते थे। हमलोगों का पूरा जीवन वहीं बीता। वहीं आसपास में रोजगार का साधन भी मिल जाता था। लेकिन अब न तो कई लोगों को रोजगार मिल पा रहा है और न ही उसकी कोई उम्मीद दिखाई पड़ रही है। इसबार हमलोगों ने बकरीद भी नहीं मनाई। बकरीद मनाना तो दूर हमलोग इस बार नमाज तक नहीं पढ़ सके।
खुले में पड़े हैं बिजली उपकरण
पीने के पानी की समस्या
बसंतकुंज योजना में पहुंचे विस्थापितों ने बताया कि उनको पीने के पानी की दिक्कत हो रही है। यहां का पानी साफ नहीं आ रहा है। विशेषकर यह समस्या 85 और 92 नंबर की इमारतों में बताई जा रही थी।इस दौरान पीएम आवास योजना में अभी कुछ काम चल रहा है। वहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि वह बीते कुछ दिनों से लगातार काम कर रहे हैं।
सड़कों पर बहता पानी, कई जगह पानी की पाइपलाइन में लीकेज
अकबरनगर मे गरजते रहे बुल्डोजर
लखनऊ के अकबरनगर में लोकसभा चुनाव के बाद अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई बीते 8 दिनों से चल रही है। प्रशासन की तरफ से कुकरैल नदी के किनारे अवैध रूप से बने मकानों को तोड़ने का काम बीते साल 2023 से ही जारी है। सबसे पहले भीकमपुर में मकानों को तोड़ने की कार्रवाई हुई थी। अब अकबरनगर में कार्रवाई चल रही है।
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