प्रयागराज: संयुक्त निदेशक माध्यमिक शिक्षा को ट्रस्ट के पंजीकरण की वैधता के परीक्षण का अधिकार नहीं- HC
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोसाइटी भंग करने के एक मामले में माना कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत संयुक्त निदेशक, माध्यमिक शिक्षा को ट्रस्ट के पंजीकरण की वैधता का परीक्षण करने का कोई अधिकार नहीं है, विशेषकर तब जब ट्रस्ट के गठन के लिए सोसायटी के उक्त परिवर्तन को यूपी इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 के तहत बनाए गए विनियमों के संशोधित विनियम 6 के तहत अनुमति दी गई है।
याचिका में दिनांक 01.03.2024 के आक्षेपित आदेश के अवलोकन से पता चलता है कि संयुक्त निदेशक ने महाविद्यालय की प्रशासन योजना में शामिल किए जाने वाले संशोधनों के अनुमोदन पर निर्णय की आड़ में वास्तव में उस प्रस्ताव की वैधता का परीक्षण किया है, जिसके द्वारा सोसायटी को भंग कर दिया गया है और ट्रस्ट बनाने का निर्णय लिया गया है, जबकि यदि किसी महाविद्यालय की प्रशासन योजना में कोई संशोधन मांगा जाता है, तो संयुक्त निदेशक को उक्त संशोधन के अनुमोदन के लिए अधिनियम 1921 की धारा 16 (ए) में किए गए प्रावधानों के अनुसार ही निर्णय लेना होता है।
दरअसल वर्तमान मामले में संबंधित सोसायटी की सामान्य निकाय के 3/4 से अधिक सदस्यों ने सोसायटी को भंग करने और एक ट्रस्ट के पंजीकरण के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है, इसलिए संबंधित सोसायटी की सामान्य निकाय द्वारा पारित प्रस्ताव की तिथि से भंग हो गई है। उक्त कारणों को देखते हुए न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की एकल पीठ ने महावीर इंटर कॉलेज की प्रबंधन समिति की याचिका स्वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश निरस्त कर दिया।
इसके साथ ही मामले को संयुक्त निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, आगरा क्षेत्र, आगरा को वापस भेज दिया, जिससे याची द्वारा कॉलेज की प्रशासन योजना में प्रस्तावित संशोधनों पर अधिनियम 1921 की धारा 16(ए) में किए गए प्रावधानों के अनुसार पुनर्विचार किया जा सके तथा इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत किए जाने की तिथि से दो माह की अवधि के भीतर तर्कपूर्ण आदेश पारित किया जा सके।
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