बुंदेलखंड विवि और AKTU पर गिरी गाज, कुलसचिव और IIT निदेशक को आयोग ने पेश होने के दिए कड़े निर्देश, जाने क्या है मामला

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव, आईआईटी के निदेशक व एकेटीयू के कुलसचिव को आयोग में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान इन अफसरों और संबंधित अन्य अफसरों के उपस्थित न होने पर आयोग ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की। आयोग ने चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसा हुआ तो आयोग ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखेगा।

शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कई मामलों की सुनवाई की। बहराइच निवासी अमरजीत ने जाति प्रमाण पत्र जारी न होने की शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने सुनवाई में जिलाधिकारी व संबंधित अधिकारी की अनुपस्थित होने पर कड़ी नाराजगी जताई। हालांकि, आयोग की जानकारी दी गई कि जाति प्रमाण पत्र अब जारी कर दिया गया है। झांसी निवासी अवधेश निरंजन ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति और कुलसचिव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप लगाया गया कि प्रोफेसर को पदोन्नति व विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं दी गई है। इस दौरान सुनवाई में कुलसचिव के अनुपस्थित होने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अध्यक्ष ने अगली सुनवाई में उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिया।

इसी तरह, आईआईटी में डॉ. सत्येन्द्र सिंह की प्रोन्नति में देरी के मामले में आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए आईआईटी के निदेशक व एकेटीयू के कुलसचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।

शामली में हत्या प्रकरण में फर्जी फंसाने की शिकायत की जांच दूसरे अधिकारी को आयोग ने शामली में हत्या के प्रकरण में स्थानीय पुलिस के जरिए स्थानीय निवासी कंवरपाल सिंह व उसके परिवार को कथित तौर पर झूठे तरीके से फंसाने की शिकायत पर गंभीर रुख अपनाया है। आयोग ने इस प्रकरण में गृह विभाग को दूसरे जिले के पुलिस अधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया। शिकायतकर्ता का कहना है कि पोलीग्राफी टेस्ट में परिवार के खिलाफ कोई रिपोर्ट न मिलने के बाद भी उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है।

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