संभल : सत्यवृत पुलिस चौकी की भूमि वक्फ संपति नहीं, समद के वारिसों ने दिया शपथ पत्र

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Published By Pradeep Kumar
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एआईएमआईएम अध्यक्ष ओवैसी के दावों को बड़ा झटका, एसपी को सौंपा पत्र

संभल, अमृत विचार। संभल में जामा मस्जिद के पास बन रही सत्यवृत पुलिस चौकी की भूमि को वक्फ संपत्ति बताने वालों को बड़ा झटका लगा है। जिस अब्दुल समद नाम के व्यक्ति की संपत्ति वक्फ किए जाने की बात कही जा रही थी उसके वारिसों ने साफ कर दिया है कि जमीन उनकी नहीं, बल्कि सरकारी है। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस अधीक्षक को शपथ पत्र देकर बताया दिया कि पुलिस चौकी की भूमि से उनका कोई वास्ता नहीं है।

24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे की कार्रवाई के दौरान हिंसा की घटना हुई तो पुलिस प्रशासन ने जामा मस्जिद के पास 300 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में पुलिस चौकी निर्माण का फैसला लिया था। 10 दिन पहले इस पुलिस चौकी का निर्माण शुरू हुआ तो यह कहकर विरोध किया गया कि जिस भूमि पर पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है, वह वक्फ संपत्ति है। एआईएमआईएम अध्यक्ष एवं सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने भी पुलिस चौकी की जमीन को वक्फ भूमि बताते हुए एक्स पर लिखा था। उन्होंने उन दस्तावेजों को भी पोस्ट किया था, जिसमें लिखा गया था कि 1929 में अब्दुल समद नाम के व्यक्ति ने कुछ संपत्तियों को वक्फ किया था। दावा किया गया था कि जिस भूमि पर पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है यह भी उन्ही संपत्तियों में से एक है। जिलाधिकारी को भी वक्फ संपत्ति से संबंधित दस्तावेज सौंपे गए थे। तीन सदस्यीय समिति बनाकर इन दस्तावेजों की प्रशासन ने जांच कराई थी। समिति की रिपोर्ट आने के बाद दस्तावेजों को कूट रचित मानकर कोतवाली संभल में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस घटनाक्रम के बाद मंगलवार को अब्दुल समद के वारिस पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई के पास पहुंचे। बताया कि वह अब्दुल समद के वारिस 92 वर्षीय मोहम्मद खालिद के बेटे और पोते हैं। मोहम्मद खालिद की ओर से दिया गया शपथ पत्र पुलिस अधीक्षक को सौंपा गया। इसमें बताया कि पुलिस चौकी की जमीन से उनका कोई वास्ता नहीं है। यह भी कहा गया कि वर्तमान में या भविष्य में उनके परिवार का पुलिस चौकी पर न तो दावा है और न ही रहेगा। यह वक्फ की नहीं बल्कि सरकारी भूमि है। इस भूमि पर ही पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है।

पूर्वज करते थे देखभाल, पता चला सरकारी भूमि है तो छोड़ दी
अब्दुल समद के वारिस मोहम्मद खालिद की ओर से पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए शपथ पत्र में बताया कि जामा मस्जिद के सामने जिस भूमि पर पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है, उसकी देखभाल काफी समय पहले तक वह यह समझकर करते थे कि यह उनके पूर्वजों की भूमि है। जब उन्हें पता चला कि यह सरकारी भूमि है, तो उस जमीन की देखभाल करनी छोड़ दी थी।

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