क्या है प्रयाग का अर्थ? कौन करता है तीर्थों के राजा प्रयागराज की देखभाल? सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल ने दी यह खास जानकारी

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Published By Virendra Pandey
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मातृशक्तियां प्रयागराज में 21 फरवरी को करेंगी सामूहिक सुंदरकांड पाठ

लखनऊ, अमृत विचार। ईश्वरीय स्वप्नाशीष सेवा समिति की ओर से सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल की अगुवाई में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मातृशक्तियां शुक्रवार 21 फरवरी को सामूहिक सुंदरकांड पाठ करेंगी। महाकुंभ में सेक्टर पांच स्थित तुलसी संस्थान में दोपहर एक बजे से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। जिसमें प्रदेश की करीब 500 मातृशक्तियां, सामूहिक सुंदरकांड का पाठ करने के साथ ही स्थित घाट पर पावन स्नान कर महाकुंभ अनुष्ठान में प्रभु का आशीर्वाद भी प्राप्त करेंगी। इसके साथ ही मंगलवार 4 मार्च को अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में मासिक सामूहिक सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। यह जानकारी शनिवार को भूतनाथ मार्केट में आयोजित मासिक धार्मिक संगोष्ठी के दौरान सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल ने दी है।

सपना गोयल और अन्य महिलायें (1)

सपना गोयल ने बताया कि सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूरा कर लेने के बाद पहला यज्ञ प्रयागराज में ही किया था। इसी प्रथम यज्ञ के “प्र” और यज्ञ के “याग” से मिलकर प्रयाग बना है। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं। प्रयागराज में भगवान विष्णु माधव रूप में विराजमान हैं। बताते चलें कि भगवान के वहाँ बारह स्वरूप विद्यमान हैं जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सोम, वरुण, प्रजापति सहित महान ऋषि भारद्वाज, ऋषि दुर्वासा तथा ऋषि पन्ना की जन्मस्थली भी प्रयागराज है।

सपना गोयल के अनुसार लगभग 5000 ईसा पूर्व में वहां ऋषि भारद्वाज ने दस हजार से अधिक शिष्यों को पढ़ाया था। वर्तमान में ऐसे पावन नगरी में महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा बहुत ही कुशलता के साथ किया जा रहा है। प्रयागराज गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित है। इस त्रिवेणी के संगम का दृश्य अत्यन्त मनोरम है। श्वेत गंगा और हरित यमुना अपने मिलने के स्थान पर स्पष्ट भेद बनाए रखती हैं। उन्होंने बताया कि संगम स्नान से महज यह शरीर ही स्वच्छ नहीं होता बल्कि आत्मा का भी शुद्धिकरण होता है। ऐसे पावन तन-मन के संगम से व्यक्ति को इस लोक में ही नहीं, परलोक में भी उन्नति मिलती है। देश ही नहीं, विदेश के लोगों का सामूहिक स्नान विश्व को संदेश देता है कि सभी मानव समान हैं और हर व्यक्ति को चाहिए कि वह मानवता को सर्वोपरि रखे। सनातन धर्म का पालन अनुशासन, श्रद्धा, निष्ठा और भक्ति के साथ करे। इस पावन स्नान से पहले व्यक्ति को चाहिए कि वह संगम स्थल की पावन कृपा को प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करें और वहां से प्राप्त आशीर्वाद को बनाए रखने के लिए भी सुंदरकांड का नियमित पाठ प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को नजदीकी मंदिर में अवश्य करें। ऐसा अनुसरण करने वाले का सम्पूर्ण जीवन ही सुंदर बन जाएगा।

अयोध्याजी जन्मभूमि परिसर में मातृशक्तियों द्वारा सामूहिक “मासिक सुंदरकांड पाठ” का सिलसिला 11 सितम्बर से शुरू हो गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से लखनऊ की “ईश्वरीय स्वप्नाशीष सेवा समिति” की सनातन ध्वज वाहिका सपना गोयल को इसका दायित्व सौंपा गया है। इस क्रम में दूसरा सामूहिक सुंदरकांड का पाठ पूर्व की भांति मार्च माह में होगा। सपना गोयल द्वारा बिना किसी सरकारी या निजी सहयोग के, बीते 10 मार्च को महिला दिवस के उपलक्ष्य में पांच हजार से अधिक मातृशक्तियों द्वारा लखनऊ के झूलेलाल घाट पर सामूहिक सुंदरकांड का भव्य अनुष्ठान सम्पन्न कराया गया था। सामूहिक सुंदरकांड का अभियान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वृहद रूप में निरंतर संचालित किया जा रहा है। इसके तहत नैमिषारण्य तीर्थ, उत्तराखंड कोटद्वार के प्रतिष्ठित प्राचीन मंदिर, सिद्धबली परिसर और काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर में भी सामूहिक सुंदरकांड पाठ का अनुष्ठान सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुका है।

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