आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी के लिए दो बार बनी समिति, 2 साल से आदेश का इंतजार, सदन में CM की घोषणा के बाद जागी कर्मियों में आस
लखनऊ, अमृत विचार। चिकित्सा संस्थानों में तैनात आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के लिए दो बार समिति बनी। समिति ने रिपोर्ट भी शासन को भेजी, लेकिन वेतन बढ़ोतरी का शासनादेश नहीं जारी हुआ। जिसके कारण आउटसोर्सिंग कर्मचारियों में भारी मायूसी घर कर गई थी, लेकिन सालों का इंतजार अब समाप्त होने की आस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सदन में की गई घोषणा के बाद जगी है। यह कहना है संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चिता नन्द मिश्रा का।
महामंत्री सच्चिता नंद मिश्रा ने कहा है कि सरकार का न्यूनतम वेतन बढ़ाने का सदन में घोषणा सराहनीय कदम है, इसका स्वागत है। इस घोषणा के लिए मुख्यमंत्री जी का आभार, लेकिन पहले हुई घोषणाओं के बाद भी शासन की तरफ से कोई आदेश नहीं आया। जिसके चलते आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्या जस की तस बनी हुई है।
उन्होंने बताया कि चिकित्सा संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के लिए साल 2018 में 17 अक्टूबर को विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में वेतन समिति बनी, रिपोर्ट शासन गई, लेकिन रिपोर्ट लागू नहीं हुई। इसके बाद 20 अप्रैल 2023 को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में कमेटी बनी। 9 जून 2023 को रिपोर्ट शासन को भेजी गई, लेकिन दो साल होने वाला है, वेतन बढ़ोतरी का शासनादेश जारी नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट लागू होने से 80 मेडिकल कॉलेज, केजीएमयू, लोहिया, एसजीपीजीआई और कैंसर संस्थान में कार्यरत एक लाख से अधिक कर्मचारियों को फायदा होगा। कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने के लिए डिप्टी सीएम तक से गुहार लगाई गई, लेकिन शासनादेश का इंतजार सिर्फ इंतजार ही रहा। अब एक बार फिर हमारी उम्मीद जगी है, यदि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करनी है तो तत्काल बजट सत्र में ही शासनादेश जारी होना चाहिए।
यह भी पढ़ें :- Barabanki News : ऑपरेशन के बाद महिला की मौत, महिला डॉक्टर पर FIR
