कासगंज: 11 माह में 91 नमूने फेल...एक बार फिर होली से पहले मिलावट खोरों पर नकेल

Amrit Vichar Network
Published By Pradeep Kumar
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होली पर दूध की मांग बढ़ने से मिलावट खोरी का धंधा जोरो पर 

कासगंज, अमृत विचार। होली के त्योहार पर घर-घर व्यंजन बनाए जाते हैं। जिसमें सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, खोया की अधिक बिक्री को लेकर मिलावटखोर सक्रिय हो गए हैं। चंद पैसों की खातिर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। इसलिए जरा सोच समझ कर पूरी जांच के बाद ही दूध या खोवा खरीदें। जिले में बीते पिछले 11 माह में जिला खाद्य एवं औषधि विभाग ने जो दूध और मिठाई के नमूने लिए उनमें 91 फेल हुए थे।

पशुपालन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनपद में प्रतिदिन  तीन लाख से साढ़े तीन लाख लीटर दूध का उत्पाद होता है। इनमें से 2 लाख लीटर दूध नोवा, कानपुर, नोएडा की बड़ी-बड़ी डेयरियों में चला जाता है। ऐसे में जनपद वासियों के लिए डेढ़ लाख लीटर दूध लगभग जनपद वासियों के लिए रह जाता है। जिसमें मिठाई, खोवा, पनीर और लोगों के पीने के लिए रह जाता है, जोकि पर्याप्त नहीं है। इससे स्पष्ट है कि जनपद में आम दिनों में भी दूध में मिलावट का खेल होता है। होली के त्योहार पर भी दूध की पांच गुना बिक्री अधिक हो जाती है। खोवा के अधिक मांग को लेकर व्यापारी बड़ी मात्रा में दूध खरीद कर खोवा तैयार करवाते हैं। ऐसे में यह निश्चित है कि दूध की कीमत के बीच मुनाफाखोर को दूध और खोवा में मिलावट का खेल खेलते होंगे। 

दूध में इन तत्वों की होती है मिलावट 
दूध में पानी चीनी यूरिया और डिटर्जेंट की मिलावट की जाती है। चीनी मिलाने से दूध का घनत्व बढ़ जाता है। दूध में ठोस मात्रा में बढ़ाने के लिए स्टार्च की मिलावट की जाती है। यूरिया डिटर्जेंट भी मिलाया जाता है। मिलावटी और नकली सिंथेटिक दूध बनाने में घटिया  दूध पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है। पाउडर को पानी में घोला जाता है। स्किम्ड मिल्क होने के कारण दूध में फैट नहीं होता है।  फैट लाने के लिए रिफाइंड मिलाया जाता है।

दूध की उपलब्धता कम फिर मांग की पूर्ति कैसे
जिले में साढ़े तीन लाख लीटर दूध का उत्पादन है, जो आम दिनों में पर्याप्त नहीं होता। ऐसे में होली पर दूध की मांग 5 गुना बढ़ जाने से इसकी खपत को पूरा करना मिलावट एवं सिंथेटिक दूध के बाजार में होना सिद्ध करता है। जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के आंकड़े जाहिर करते हैं कि जनपद में मिलावटी सिंथेटिक दूध की सप्लाई हो रही है। विभाग ने बीते 11 माह में जनपद में दूध खाया और पनीर, मिष्ठान के करीब 218 नमूने लिए थे। जांच के दौरान 91 नमूने फेल निकले । इससे सिद्ध होता है कि मिलावटी और सिंथेटिक दूध बाजार में बिक रहा है। इनमें अधिकतर दूध पनीर और खोया के सैंपल डेयरी संचालकों गांव-गांव मोटरसाइकिल पर दूध बेचने वालों के फेल पाए गए हैं। इसमें पानी की मिलावट या फिर उसमें क्रीम निकलने के मामले सामने आए हैं। 

ये हुई 11 माह में कुल कार्रवाई 
जिला खाद एवं औषधि विभाग द्वारा एक मार्च 2024 से 28 फरवरी 2025 तक 777 स्थानों का निरीक्षण किया गया। 192 स्थानों पर छापेमारी की गई। 218 नमूनें संग्रहित किए गए। 168 नमूनों की जांच प्राप्त हुई। 51 नमूने अधोमानक, 24 नमूने असुरक्षित पाए गए। एओ कोर्ट में 82 मुकदमें के वाद दायर किए गए, जबकि 32 मामले में न्यायिक न्यायालय में दायर किए गए हैं। एओ कोर्ट ने 1002700 लाख रूपये का अर्थदंड न्यायालय द्वारा 601000 अर्थदंड को वसूल किया गया है। चार व्यक्तियों को चार साल पांच माह की और दो व्यक्तियों को तीन-तीन साल की सजा हुई है।

सहायक आयुक्त खाद्य विभाग  सुनील कुमार ने बताया कि त्योहारों पर मिलावट खोरों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाता है। इस बार भी अभियान चलाया जा रहा है। खोवा, मिष्ठान बनाने वाले के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे जाएंगे। लोगों की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।

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