प्रयागराज: गैरकानूनी धर्म परिवर्तन जघन्य और गैर-शमनीय अपराध- इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैरकानूनी धर्म परिवर्तन और दुष्कर्म के एक मामले पर सुनवाई करते हुए अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि दुष्कर्म एक गैर-समझौता योग्य अपराध है। यह केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि समूचे समाज के खिलाफ अपराध है। एक स्त्री की गरिमा उसके अविनाशी और अमर 'स्व' का हिस्सा है। इसे मिट्टी में मिलाने वाले के साथ किसी भी स्थिति में समझौता नहीं किया जा सकता है।
कभी-कभी ऐसे मामलों में कोर्ट के समक्ष यह सांत्वना दी जाती है कि अपराधी ने पीड़िता के साथ विवाह करने के लिए सहमति दे दी है, जो कि वास्तव में कुटिलतापूर्वक न्यायिक प्रक्रिया से बचने का एक रास्ता होता है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने आईपीसी की धारा 376 और उत्तर प्रदेश धर्म संपरिवर्तन रोकथाम अधिनियम की धारा 3/4(1) के तहत 7 जून 2021 को दर्ज मामले में तौफीक अहमद द्वारा दाखिल जमानत याचिका को खारिज करते हुए की।
कोर्ट का मानना है कि आईपीसी की धारा 376 के तहत अपराध गंभीर और जघन्य अपराधों की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें केवल एक व्यक्ति के विरुद्ध न मानकर संपूर्ण समाज के विरुद्ध माना जाता है। उपरोक्त धारा के तहत अपराधों के लिए चलने वाली आपराधिक कार्यवाही को पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि दुष्कर्म महिला के शरीर के विरुद्ध अपराध है, जो उसका अपना मंदिर होता है। दुष्कर्म एक महिला की प्रतिष्ठा, अस्मिता और सम्मान को हमेशा के लिए कलंकित कर देता है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी न्यायालयों को ऐसे मामलों में नरम रुख अपनाने से मना किया है, क्योंकि किसी भी तरह का उदार दृष्टिकोण असाधारण त्रुटि की श्रेणी में आएगा।
मौजूदा मामले में कोर्ट के समक्ष प्रश्न था कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते हुए पक्षकारों के मध्य हुए समझौते को ध्यान में रखकर गंभीर धाराओं के तहत दुष्कर्म के अपराध से जुड़े मामले में आरोप पत्र के साथ-साथ पूरी कार्यवाही को रद्द करने के लिए दाखिल जमानत याचिका पर विचार किया जा सकता है? अंत में प्रश्नगत मुद्दे को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण एक गंभीर और गैर-शमनीय अपराध है, जिसे क्षेत्राधिकार के तहत प्रदत्त शक्तियों द्वारा रद्द नहीं किया जा सकता है। किसी धर्म में परिवर्तित होने के लिए मूल रूप से एक वयस्क स्वस्थ दिमाग वाले व्यक्ति की अपनी स्वतंत्र इच्छा, विश्वास और आस्था की आवश्यकता होती है, जबकि मौजूदा मामले में धर्म परिवर्तन के लिए एक कुटिल रास्ता अपनाया गया।
मामले के अनुसार राहुल नामक व्यक्ति ने फेसबुक के माध्यम से पीड़िता से दोस्ती की। बातचीत के माध्यम से उसने पीड़िता को विवाह के लिए तैयार करके 6 महीने तक अपने गांव नवाबनगर, रामपुर में स्थित घर में नजरबंद रखा। इस दौरान पीड़िता को पता चला कि राहुल मुस्लिम है। इसके बाद हिंदू पीड़िता द्वारा विवाह से इनकार करने के बाद राहुल कुमार उर्फ मोहम्मद अयान ने उसे बुरी तरह मारा-पीटा तथा अवैध हिरासत के दौरान अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया।
राहुल की कैद से भागकर पीड़िता ने प्राथमिकी दर्ज कराई और आरोप लगाया कि आरोपी ने फेसबुक के माध्यम से दोस्ती करके अन्य कई हिंदू लड़कियों को भी अपने जाल में फंसाया था, जिसके लिए उसे मदरसे से आर्थिक सहायता मिलती थी। पीड़िता ने अपने बयान में याची/तौफीक अहमद का नाम लिया, जो राहुल उर्फ मोहम्मद अयान का बहनोई है।
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