कन्नौज में पलटा मौसम, तूफान संग बारिश से आफत, पारा लुढ़का: दो-तीन दिन तक ऐसे ही मौसम रहने की संभावना
कन्नौज/तिर्वा, अमृत विचार। अप्रैल के पहले हफ्ते में भीषण गर्मी से लोग कराहने लगे थे कि अचानक मौसम का मिजाज बदल गया। सुबह से घने बादल छाए और कुछ ही देर में तूफान के साथ बारिश शुरू हो गई। जिले में लगभग सभी स्थानों पर गरज-चमक के साथ कभी तेज तो कभी धीमी बारिश हुई जिससे खेतों में खड़ी या कटी रखी गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा।
इस दौरान 50-55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। हालांकि पारा लुढ़कने से तपा देने वाली गर्मी से लोगों ने राहत महसूस की। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो से तीन दिन गर्मी से राहत का अनुमान है। 13 अप्रैल के बाद तापमान में बढ़ोतरी का अनुमान है।

बुधवार को आम दिनों के अपेक्षा ज्यादा गर्मी से लोग बेहाल रहे लेकिन गुरुवार की सुबह सुहानी हो गई। तड़के से ही छाए काले बादलों और ठंडी हवाओं ने पारा गिरा दिया। सुबह नौ बजे तक बादलों के कारण शाम जैसा नजारा हो गया और फिर चली तेज हवाओं व गरज-चमक के साथ बारिश शुरू हो गई।
दोपहर तक चली तेज हवा और बारिश से कन्नौज, तिर्वा में खेत में तैयार खड़ी गेहूं की फसल गिर गई तो वहीं कई खेतों में कटाई के बाद गेहूं के गट्ठर रखे थे जो भीग गए। वहीं अधिकतम तापमान जो 38-39 के करीब चल रहा था गिरकर 32 डिग्री सेल्सियस तो न्यूनतम 24 से गिरकर 20 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।
कृषि मौसम वैज्ञानिक अमरेन्द्र यादव ने बताया अधिकतम तापमान में लगभग 8 डिग्री और न्यूनतम तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई है। जिसके प्रभाव से आगामी दो-तीन दिनों में वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया धीमी होने के कारण पानी की आवश्यकता कम होगी।
आगामी 3-4 दिनों में धीरे-धीरे तापमान में फिर से बढ़ोतरी होने के साथ ही यह तापमान फिर से अधिकतम 37-38 डिग्री और न्यूनतम 24 -25 सेल्सियस डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की अनुमान है। उन्होंने बताया कि जनपद कन्नौज में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन द्वारा 1.5 मिलीमीटर वर्षण दर्ज की गई है। जब 2.5 मिलीमीटर से अधिक वर्षण होता है तो उसको बारिश की कैटेगरी में दर्ज करते हैं।
कटी गेहूं की फसल को ज्यादा नुकसान
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीके कनौजिया का कहना है कि खेत में पकी खड़ी गेहूं की फसल में कम नुकसान है, जबकि खेत में बंधे पड़े गेहूं के गट्ठरों में अपेक्षाकृत ज्यादा नुकसान है। हल्की बूंदाबांदी के प्रभाव से केवल दाने की चमक में कमी और हल्के काली होने की आशंका रहती है, साथ ही भूसे की क्वालिटी भी कमजोर होती है। बारिश अन्य फसलों जैसे खीरा, प्याज, कद्दू, करेला, ककड़ी, तरबूज, खरबूज, भिंडी और मक्का इत्यादि के लिए लाभदायक है।
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