उत्तर प्रदेश की चार हस्तियां 'पद्म श्री' से सम्मानित, कला-साहित्य के क्षेत्र में छोड़ी अनोखी छाप, जानें नाम, सीएम योगी ने भी दी बधाई

उत्तर प्रदेश की चार हस्तियां 'पद्म श्री' से सम्मानित, कला-साहित्य के क्षेत्र में छोड़ी अनोखी छाप, जानें नाम, सीएम योगी ने भी दी बधाई

लखनऊ, अमृत विचार: राष्ट्रपति ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में उत्तर प्रदेश की चार हस्तियों को पद्म श्री से सम्मानित किया है। इनमें डॉ. सत्यपाल सिंह को खेल, डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल को कला और गणेश्वर शास्त्री द्राविड और हृदय नारायण दीक्षित को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म श्री सम्मान मिला है।

योगी आदित्यनाथ ने सभी को दी बधाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पद्मश्री सम्मान पाने वाली उत्तर प्रदेश की सभी हस्तियों को बधाई दी है। सोमवार को अपने एक्स हैंडल पर उन्होंने हद्य नारायण दीक्षित के लिए लिखा कि आपकी लेखनी भारतीय संस्कृति, दर्शन एवं जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति है। आपके लेखन से सदा राष्ट्रबोध का दीप प्रज्वलित होता रहे, यही कामना है। योगी ने इसी कड़ी में डॉ. श्याम बिहारी अग्रवाल को बधाई देते हुए लिखा कि, आपकी साधना, शिक्षण और सृजनशीलता ने भारतीय कला-जगत में एक अमिट छाप छोड़ी है। कला क्षेत्र आपके योगदानों से निरंतर प्रेरणा प्राप्त करता रहेगा। डॉ. सत्यपाल सिंह के लिए उन्होंने कहा कि, आपकी उपलब्धियां देश और प्रदेश के खिलाड़ियों के सपनों को नई उड़ान प्रदान करेगी।

डॉ. सत्यपाल सिंह

डॉ. सत्यपाल सिंहएक अग्रणी एथलेटिक्स कोच और मार्गदर्शक हैं। 01 जनवरी, 1978 को गाजियाबाद के सुदूर गांव मछरी में जन्मे, डॉ. सिंह ने एथलेटिक्स के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया और खेल कोचिंग तथा योग में कई प्रतिष्ठित योग्यताओं के साथ-साथ इस क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि भी अर्जित की। 19 विश्वविद्यालय पदकों के साथ राष्ट्रीय स्तर के इस पूर्व एथलीट ने 2004 में कोचिंग में कदम रखा और युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वर्ष 2007 में, उन्होंने पैरा-एथलीटों को कोचिंग देने की चुनौती ली और भारत को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाया।

डॉ. सत्यपाल के मार्गदर्शन में, भारतीय पैरा-एथलीटों ने 4 पैरालंपिक पदक, 6 विश्व चैम्पियनशिप पदक और 18 एशियाई पैरा खेलों के पदक जीते हैं। डॉ. सिंह को वर्ष 2012 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया और वे भारतीय खेलों के इतिहास में इसके सबसे कम उम्र के प्राप्तकर्ता बने। उनके मार्गदर्शन में सात अर्जुन पुरस्कार विजेता तैयार हुए हैं, जिनमें भारत के पहले नेत्रहीन अर्जुन पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं, जो उनकी असाधारण कोचिंग क्षमता का प्रमाण है।

डॉ. श्यामबिहारी अग्रवाल

डॉ. श्यामबिहारी अग्रवाल एक प्रतिष्ठित कलाकार, शिक्षाविद और कला इतिहासकार हैं। 1 सितम्बर 1942 को प्रयागराज के सिरसा में जन्मे, डॉ. अग्रवाल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चित्रकला विभाग से औपचारिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में कोलकाता के राजकीय कला एवं शिल्प महाविद्यालय से अपने कौशल को निखारा। प्रसिद्ध कलाकार क्षितिन्द्र नाथ मजूमदार के मार्गदर्शन में उन्होंने फ्रेस्को, भित्ति चित्रकला और भारतीय लघु चित्रकला शैलियों में अपनी विशेषज्ञता को तराशा। डॉ. अग्रवाल ने कला के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसमें फ्रेस्को, भित्ति चित्र, फोटोग्राफी और मूर्तिकला शामिल हैं। मेवाड़ शैली में निर्मित उनकी पेंटिंग ''वेणी गुंठन'' ने 1965 में सर्वश्रेष्ठ भारतीय चित्रकला के लिए प्रतिष्ठित इंदु रक्षिता पुरस्कार जीता। अपने पूरे करियर में, वह अकादमिक जगत में एक प्रभावशाली व्यक्ति रहे हैं। कला, शिक्षा और समाज सेवा में उनके योगदान के लिए ''राष्ट्रीय मानवता पुरस्कार'' सहित कई पुरस्कारों से उनकी कलात्मक उत्कृष्टता को सम्मानित किया गया है।

गणेश्वर शास्त्री द्राविड

गणेश्वर शास्त्री द्राविड एक वैदिक विद्वान और महान ज्योतिषी हैं। 8 दिसंबर 1958 को जन्मे, द्राविड शास्त्री के पास किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या विश्वविद्यालय की कोई डिग्री नहीं है। उन्होंने बचपन से ही अपनी सारी शिक्षा पारंपरिक गुरुकुल से प्राप्त की, जिसका संचालन उनके पिता पंडित राजेश्वर शास्त्री द्राविड करते थे, जो बनारस के रामनगर में न्यायशास्त्र के प्रख्यात विद्वान थे। ज्योतिष के ज्ञान के अलावा, उन्हें चारों वेदों, वेदांत, न्यायशास्त्र, धर्मशास्त्र, दर्शनशास्त्र, नीतिशास्त्र, राजशास्त्र, मीमांसा शास्त्र, पुराण, आयुर्वेद आदि का भी व्यापक ज्ञान है। इससे पहले द्राविड शास्त्री ने भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय को प्राचीन धार्मिक ग्रंथों से विभिन्न साक्ष्य उपलब्ध कराकर राम सेतु (जिसे भगवान राम की सेना ने बनाया था) को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने 23 साल पहले मद्रास (चेन्नई) में कृष्ण-यजुर्वेद पुस्तक का संपादन किया था जो एक ऐतिहासिक कृति है।

हृदयनारायण दीक्षित

हृदयनारायण दीक्षित एक प्रसिद्ध विचारक, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 25 दिसंबर, 1946 को उन्नाव जिले के लौवा में जन्में, श्री दीक्षित ने कानपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा का आरंभ अपने जन्म स्थान से किया और वर्ष 1972 में उन्नाव जिला पंचायतराज परिषद के सदस्य चुने गए। आपातकाल (1975-1977) के दौरान, उन्हें 19 महीने के लिए कारागार में डाल दिया गया था। इन्होंने 17वीं उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश में पंचायती राज और संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्य किया। उत्तर प्रदेश विधान सभा (9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं और 17वीं) के सदस्य के रूप में पांच बार निर्वाचित हुए, इन्होंने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य और भाजपा विधान पार्टी (2010-2016) के नेता के रूप में भी कार्य किया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने राज्य विधानमंडल की सार्वजनिक उपक्रम समिति के अध्यक्ष के रूप में निर्णायक पद का कार्यभार संभाला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर, वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य, जन संघ के जिला सचिव, भाजपा, उन्नाव के जिला अध्यक्ष के साथ-साथ भाजपा, उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता रहे हैं।

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