मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले डीजीपी राजीव कृष्ण

लखनऊ, अमृत विचार। यूपी के नवनियुक्त कार्यवाहक डीजीपी राजीव कृष्ण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिष्टाचार भेंट की है। उन्होंने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर पहुंचकर सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश की कानून व्यवस्था से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।
मुलाकात के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यवाहक डीजीपी को नई जिम्मेदारी संभालने पर शुभकामनाएं दीं। दरअसल, राज्य सरकार की ओर से शनिवार को उनकी नियुक्ति को लेकर आदेश जारी किया गया था। कार्यवाहक डीजीपी रहे प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार न देते हुए उनकी नियुक्ति की गई। राजीव कृष्ण के पास वर्तमान में डीजी विजिलेंस के साथ यूपी पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी है। वह 11 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को ‘सुपरसीड’ कर डीजीपी बनाए गए हैं। उन्हें दो बार राष्ट्रपति का गैलेंट्री अवार्ड भी मिल चुका है।
नए डीजीपी राजीव कृष्ण बीहड़ में तोड़ चुके हैं अपहरणकर्ताओं की कमर
प्रदेश के नए कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए राजीव कृष्ण वर्ष 2004 में आगरा में एसएसपी के तौर पर अपनी कार्यशैली के कारण काफी चर्चा में रह चुके हैं। उन्होंने उस समय आगरा में अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया था। साथ ही, बीहड़ में सक्रिय अपहरण गिरोहों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की थी। नई भूमिका में अपनी नियुक्ति के दौरान उन्होंने दौड़ में शामिल कई अफसरों को पीछे छोड़ दिया।
20 जून 1969 को जन्मे राजीव कृष्ण मूल रूप से गौतमबुद्धनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। स्नातक के बाद उन्होंने 1991 में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और आईपीएस अफसर के रूप में चयनित हुए। उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी हैं और लखनऊ स्थित आयकर विभाग के मुख्यालय में तैनात हैं। डीजीपी की दौड़ में राजीव कृष्ण के अलावा 1990 बैच के आईपीएस बीके मौर्य समेत कई अधिकारी दौड़ में थे, पर उन्हें सफलता नहीं मिली।
राजीव कृष्ण ने मथुरा, इटावा, आगरा, नोएडा और लखनऊ में एसपी/एसएसपी जैसे चुनौतीपूर्ण पदों पर कार्य किया। वह यूपी एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) के संस्थापक प्रमुख थे। इसके अलावा, उन्होंने बीएसएफ में आईजी ऑपरेशंस के रूप में कार्य किया। उनकी सेवानिवृत्ति में चार वर्ष और एक माह का समय बाकी है।