इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सरकार की गलती के कारण कर्मचारियों को नहीं मिलेगी सजा
An important decision of Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सरकार की गलती के कारण कर्मचारियों को दंडित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने अस्वीकृत पदों पर नियुक्तियों के मामले में यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने देवेंद्र सिंह और एक अन्य की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए उपनिदेशक, शिक्षा झांसी मंडल, झांसी के आदेश को निरस्त कर दिया।
क्या था मामला?
देवेंद्र सिंह और अन्य को 1987 और 1989 में तदर्थ आधार पर सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, 1989 में जिला विद्यालय निरीक्षक, हमीरपुर ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था, क्योंकि जिन पदों पर उन्हें नियुक्त किया गया था, वह स्वीकृत पदों से अधिक थे। कोर्ट ने कहा कि अगर अपीलकर्ताओं को नियमित पदों पर रिक्तियों के विरुद्ध समाहित कर लिया जाए, तो उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के समय मौजूद किसी भी अनियमितता को ठीक कर दिया गया माना जाएगा। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए माना कि अगर अपीलकर्ताओं की नियुक्तियां अनियमित थीं और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही की जानी थी, तो उसे उचित समय के भीतर किया जाना चाहिए था।
महत्वपूर्ण बातें
- सरकार की गलती के कारण कर्मचारियों को दंडित नहीं किया जा सकता है।
- अगर अपीलकर्ताओं को नियमित पदों पर समाहित कर लिया जाए, तो उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के समय मौजूद किसी भी अनियमितता को ठीक कर दिया गया माना जाएगा।
- कोर्ट ने माना कि कई वर्षों के बाद कार्यवाही करते हुए राज्य सरकार की गलती के लिए अपीलकर्ताओं को दंडित नहीं किया जा सकता है।
अब क्या होगा?
कोर्ट के इस फैसले के बाद, देवेंद्र सिंह और अन्य को राहत मिल सकती है। कोर्ट ने उपनिदेशक, शिक्षा झांसी मंडल, झांसी के आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसका अर्थ है कि अपीलकर्ताओं को अब अपनी नौकरी बनाए रखने का अवसर मिल सकता है।
यह भी पढ़ें:- मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट का बड़ा एक्शन : बाघिन की हत्या के मामले में 39 आरोपियों के वारंट जारी
