महाकुंभ भगदड़ : यूपी सरकार को हाईकोर्ट की फटकार, मुआवजा नहीं देने पर उठाए सवाल

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Published By Vinay Shukla
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High Court reprimanded UP government : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने महाकुंभ भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने में विलंब पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि सरकार एक बार मुआवजा घोषित कर देती है तो उसका समय पर और सम्मानजनक तरीके से भुगतान करना उसकी बाध्यता है।

क्या है मामला?

उदय प्रताप सिंह नाम के एक व्यक्ति की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति संदीप जैन की अवकाश पीठ ने कहा कि सरकार की ओर से बहानेबाजी प्रतीत होती है जब पीड़ित परिवारों को पैसे की भीख मांगने के लिए कहा जाता है।

अदालत की टिप्पणी
  •  सरकार अपने नागरिकों की ट्रस्टी है और उनकी रक्षा करने और उन्हें परिहार्य नुकसान से बचाने के लिए बाध्य है।
  • पीड़ित परिवारों को अत्यंत अनुग्रह और गरिमा के साथ मुआवजे का भुगतान करना सरकार का कर्तव्य है।
  • यह चिंताजनक है कि याचिकाकर्ता की पत्नी का शव उसके बेटे को पांच फरवरी को सौंपा गया और चार महीने बीत गए, लेकिन सरकार द्वारा घोषित मुआवजे के एक भी हिस्से की पेशकश याचिकाकर्ता को नहीं की गई है।
अगली कार्रवाई

अदालत ने राज्य के अधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर मुआवजे के लिए प्राप्त कुल दावों, जिन दावों पर निर्णय किए गए उनकी संख्या और लंबित दावों की संख्या का विवरण उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही अदालत ने प्रयागराज में विभिन्न चिकित्सा संस्थानों और अधिकारियों को इस याचिका में पक्षकार बनाने और उन्हें हलफनामे दाखिल कर 28 जनवरी से मेला की समाप्ति तक सभी मृत्यु और उनके पोस्टमार्टम आदि की जानकारी देने को कहा है। सुनवाई की अगली तिथि 18 जुलाई, 2025 तय की गई है।

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