पीलीभीत: इक्का-दुक्का छोड़िए..अधिकांश भट्ठों में जल रहा प्रतिबंधित कार्बन, DM बोले कराएंगे कार्रवाई
पीलीभीत, अमृत विचार: बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए ईट भट्ठों को जिग-जैग तकनीक पर संचालित करने के आदेश तो कर दिए गए हैं, लेकिन पूरे जनपद भर में ईंट भट्ठों से प्रदूषण फैलाया जा रहा है। जिम्मेदारों की ओर से बरती जाने वाली लापरवाही के चलते आलम ये है कि इक्का-दुक्का को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में ब्लैक कार्बन जलाकर ईट पकाने का काम किया जा रहा है। चर्चा तो ये भी है कि सब खेल जिम्मेदारों के संरक्षण में ही चल रहा है। जिसकी वजह से शिकायतों को भी अनदेखा करने से पीछे नहीं हटते। हर तरफ स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। इस पर एक्शन लेने के बजाय टालने पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
बता दें कि जनपद में करीब 100 से अधिक ईट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। कारोबारियों की मानें तो पूरे जनपद भर मं कोई भी ईट भट्ठा जिग जैग तकनीक पर संचालित नहीं हो रहा है। प्रदूषण रोकने के लिए ईंट भट्ठों को लेकर सख्ती शासन स्तर से की गई है। मगर, जिला स्तर पर ये सब आदेश हवा हवाई साबित हो रहे हैं। भट्टा संचालकों पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। एक दिन पूर्व अमृत विचार की टीम ने न्यूरिया क्षेत्र में पहुंचकर ईट भट्ठों पर नियम पालन की स्थिति परखी तो तस्वीर कागजी दावों से उलट मिली थी। वहीं, दूसरे दिन रविवार को बीसलपुर रोड पर स्थित तमाम ईट भट्टों पर भी कुछ ऐसा ही नजारा दिखा। इस मार्ग पर दर्जनों ईंट भट्ठे संचालित हो रहे हैं। इक्का-दुक्का पर तो लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा था। मगर, अधिकांश में ब्लैक कार्बन की बोरियों के ढेर लगे हुए थे। भट्ठों पर काली धूल का गुबार था। जो श्रमिक काम कर रहे थे, उनके कपड़े से लेकर शरीर कार्बन की कालिख से पटा हुआ था। इससे होने वाले नुकसान से बेफ्रिक होकर प्रदूषण के साथ ही श्रमिकों की सेहत से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा था। श्रमिकों का तर्क था कि परिवार का भरण पोषण करना है। ऐसे में जो भी काम मिल जाए वो तो करना ही पड़ेगा। सभी का कहना था कि वह कोयला भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसमें कार्बन ब्लैक मिला दिया जाता है। एक ईट भट्टे पर तो बताते हैं कि ब्लैक कार्बन की खेप तीन दिन पहले ही उतारी गई थी। जिनमें से अधिकांश बोरियां खपाई भी जा चुकी है। मगर, जिम्मेदार अधिकारी इन सबके बावजूद नियमों का सख्ती से पालन नहीं करा सके हैं। फिर निगाहें फेरने का काम किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बरेली के वैज्ञानिक सहायक सुनील चौहान इसकी जांच कराने की बात तो कह रहे हैं। मगर, कार्रवाई की शुरुआत नहीं की जा सकी है। फिलहाल डीएम ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि इस मामले में जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
सर्वे कैसा! अभी तक को कोई झांकने नहीं आया
एक ईट भट्ठा संचालक से जब ये पूछा गया कि जिम्मेदार अधिकारियों की टीमें सर्वे करने आती होंगी। फिर क्या वह ये नहीं बताते हैं कि इसका नुकसान क्या है और कार्बन न जलाएं। हंसकर एक ही जवाब मिला कि कैसा सर्वे..सीजन समाप्ति की ओर है इस बार तो अभी तक कोई आया ही नहीं है। ये तो अधिकांश पर इस्तेमाल किया जा रहा है। फिर कुछ ऐसे तर्क भी दे गए जोकि साठगांठ की ओर इशारा कर गए।
..तो सीजन खत्म होने का इंतजार
ईट भट्ठों पर इस्तेमाल किए जा रहे ब्लैक कार्बन को लेकर अब जांच कराकर सख्ती करने की बात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बरेली के जिम्मेदार कर रहे हैं। मगर, अभी तक मुहिम की शुरुआत तक नहीं की गई है। बीते साल सितंबर -अक्टूबर माह में सीजन शुरू हुआ था, जोकि अब मानसून के चलते समाप्ति की ओर हैं। ऐसे में अब कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाने की तैयारी की जा रही है। इसी गति से रूपरेखा तय की गई तो सीजन ही खत्म हो जाएगा। शायद इसी का इंतजार जिम्मेदार भी कर रहे हैं।
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