शाहजहांपुर: पांच साल बाद भी नहीं बन पाया सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
शाहजहांपुर, अमृत विचार। स्वच्छता की दौड़ में महानगर को आगे लेकर जाने वाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट सालों की कवायद के बाद भी अधूरा पड़ा है। अब सिविल वर्क किसी तरह पूरा हुआ है तो मैकैनिकल वर्क लटक गया है। प्लांट में लगने वाली मशीनें अभी तक नहीं आ पाई हैं। प्लांट अभी तक न चलने से महानगर में कूड़ा प्रबंधन लड़खड़ा रहा है। कई बार कूड़ा सड़क किनारे पड़ा हुआ देखा जा रहा है। यह स्थिति सालों से बनी हुई है।
सरकार ने साल 2018 में प्रत्येक नगर निगम में कूड़ा निस्तारण संयंत्र लगाए जाने की योजना पर काम शुरू किया था। इसी क्रम में साल 2018 में शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने की शुरुआत कर दी गई थी। बाद में तय हुआ कि ददरौल ब्लॉक स्थित खिलौली गांव में नगर निगम की ओर से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया जाएगा। यहां पर ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन किया जाएगा। अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया में कचरे को विभिन्न स्रोतों से एकत्र किया जाता है और उनका निपटान किया जाता है। इस प्रक्रिया में कचरे का संग्रहण, परिवहन, उपचार, विश्लेषण और निपटान शामिल है। प्लांट का कार्य लटकने के बाद से निगम के गलियारों में चर्चा है कि बिना स्वच्छता संबंधी उपकरण देश की रैंकिंग में निगम कैसे दौड़ेगा। प्लांट का सिविल कार्य पूरा हुआ महीनों का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक मैकेनिकल वर्क शुरू तक नहीं हुआ है। जबकि सिविल के साथ-साथ यंत्र लगाने का काम शुरू कर दिया जाना चाहिए था। अगर ऐसा हुआ होता तो आज सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनकर तैयार हो गया होता और महानगर में सड़कों के किनारे कूड़ा पड़ा नहीं देखा जाता।
कूड़े से बनेगी खाद
कूड़े का निस्तारण कर खाद, बिजली, पानी और गैस बनाई जाएगी। कूड़े में मॉश्चर होता है। उससे मिनरल वॉटर बनाया जाएगा। इसी तरह बिजली का निर्माण भी कूड़े से करने की तैयारी की गई है। कूड़े से कुकिंग गैस भी बनाई जाएगी। गैस बनने के बाद किस तरह से सप्लाई दी जाएगी, फिलहाल अभी कुछ तय नहीं हुआ। कूड़े को रिसाइकिल करने के बाद बचने वाली मिट्टी को खाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा। बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट के लिए तीन एकड़ (1.045 हेक्टेयर) जमीन नगर निगम ने उपलब्ध कराई है। जमीन को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले बाउंड्रीवाल कराई गई थी। इसके बाद यहां भवन और फाउंडेशन बनाने का काम शुरू किया गया। यह अब दोनों ही काम शुरू हो चुके हैं। प्रोजेक्ट लगाने में साढ़े चार सौ करोड़ रुपये खर्च आएगा।
2019 में शुरू हुआ था काम
प्लांट को लगाने का काम दिसंबर 2019 में शुरू होना था, लेकिन केंद्र सरकार से एनओसी न मिल पाने के कारण समय से निर्माण शुरू नहीं हो पाया था। एनओसी मिलने के बाद साल 2020 जनवरी माह में कहीं जाकर निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सकी थी। निर्माण का काम अगले एक साल यानी जनवरी 2021 तक पूरा कर लिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सिविल वर्क ही जाकर इस साल पूरा हुआ है। अब मैकेनिकल कार्य किया जाना है। इसके लिए टेंडर निकाला जाना है, लेकिन अभी तक टेंडर ही नहीं निकल सका है।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी मनोज कुमार मिश्र ने बताया कि खिलौली स्थित सेंटर अभी नगर निगम को हैंडओवर नहीं हो सका है। हैंडओवर होने के बाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। हालांकि इसके अलावा कई एमआरएफ सेंटर कार्य कर रहे हैं। जिनसे कूड़ा प्रबंधन हो रहा है।
