STF : रिटायर्ड वैज्ञानिक को डिजिटल अरेस्ट करने वाले चार गिरफ्तार

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
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लखनऊ, अमृत विचार। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान से रिटायर्ड वैज्ञानिक को सीबीआई अधिकारी बन डिजिटल अरेस्ट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश एसटीएफ ने शनिवार को किया। इस गिरोह के चार सदस्यों को लखनऊ के गोमतीनगर इलाके से दबोचा। आरोपियों ने बरेली के रिटायर्ड वैज्ञानिक को ह्यूमन ट्रैफिकिंग और नौकरी के नाम पर जालसाजी के आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट किया था। पीड़ित ने 26 जून को बरेली साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया था।

एसटीएफ के एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक पकड़े गये आरोपियों में सीतापुर के नारायन हेमपुरवा निवासी श्याम कुमार, गोंडा के मस्कनवा स्थित खाजेगांव के रजनीश द्विवेदी, गोंडा के कोडारे स्थित देवरिया मडडो का सुधीर कुमार चौरसिया और बलरामपुर के कोतवाली स्थित किठौरा का महेंद्र प्रताप सिंह उर्फ चंदन सिंह शामिल है। आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन, छह एटीएम कार्ड और चार चेक बुक बरामद हुआ है।

आरोपियों ने लखनऊ में बनाया था ठिकाना

एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक टीम ने सबसे पहले श्याम कुमार को ग्वारी फ्लाईओवर के पास से गिरफ्तार किया। वह लखनऊ में मदेयगंज स्थित रूपपुर में रहता है। इसके बाद रजनीश, सुधीर कुमार और महेंद्र प्रताप को हुसड़िया चौराहे के पास दबोचा। इसमें रजनीश का लखनऊ में कोई ठिकाना नहीं है। वह इन्हीं चारों के पास रहता है। बाकी तीन श्याम कुमार मदेयगंज, सुधीर पारा के लालबाग अयोध्यापुरी कालोनी और महेंद्र प्रताप गोमतीनगर विस्तार स्थित गंगोत्री विहार फेस-2 लालकोठी में रहता है।

तीन दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट

एसटीएफ के इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय के मुताबिक रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव नंदी बरेली के इज्जतनगर स्थित आरवीआरआई परिसर में परिवार समेत रहते हैं। शुकदेव ने पुलिस को बताया कि उनके मोबाइल पर 17 जून को व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया। कॉल करने वाले ने बताया कि आपके आधार कार्ड पर सिम एक्टिवेट कर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और जॉब फ्रॉड किया गया। सीबीआई अधिकारी दयानायक से बात करने के लिए मोबाइल नंबर दिया। बात करने पर दयानायक नाम के जालसाज ने धमकाकर तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इसके बाद खाते से 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिये।

कमीशन पर खाता उपलब्ध कराने का था आदेश

पूछताछ में सुधीर कुमार चौरसिया ने बताया कि चार माह पहले उसकी मुलाकात वाराणसी के अंकित से हुई थी। उसने दीपक नाम के व्यक्ति का नंबर दिया। कहा कि यह कंपनी चलाता है। कंपनी का पैसा बैंक खातों में भिजवाकर कमीशन देता है। दीपक से बातचीत हुई। दीपक ने खाता दिलाने के लिए कमीशन देने का ऑफर दिया। सुधीर ने श्याम कुमार, रजनीश और महेंद्र के साथ मिलकर खातों का इंतजाम करने लगा। इन बैंक खातों को दीपक को टेलीग्राम एप के माध्यम से भेजता था। उन खातों में जो रुपये आते थे। उसे लेने के लिए दीपक लखनऊ के फैज को भेजता था। इन खातों से करीब डेढ़ करोड़ रुपये निकालकर फैज को दिया। फैज इन रुपये के बदले में यूएसडीटी दीपक के ट्रस्ट वॉलेट में भेजता है। फैज के साथ सिराज अली और गुफरान काम करते है। इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडेय के मुताबिक इन तीनों की तलाश की जा रही है।

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