लखीमपुर खीरी: घरों में लगाएं रोजमेरी और गेंदा के प्लांट...मच्छरों से पक्का मिलेगा छुटकारा

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Published By Monis Khan
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अवनीश शुक्ला, लखीमपुर खीरी। बारिश का मौसम शुरू हो गया है। घर से लेकर बाहर तक जलभराव की स्थित बनी हुई है। इसमें पनप रहे मच्छर डेंगू से लेकर मलेरिया बुखार का कारण बन रहे हैं। आलम यह है कि गत माह करीब 40 बुखार के मरीजों में मलेरिया की पुष्टि हुई है। जबकि जनवरी से अब तक करीब 15 मरीज डेंगू के मिल चुके हैं। मच्छरों के प्रकोप से निजात दिलाने के लिए मलेरिया विभाग ने लोगों को जागरूक कर घरों में गेंदा, रोजमेरी, सिट्रोनेला व तुलसी के पौधे लगाने के लिए कहा है, क्योंकि इन पौधों की गंध से मच्छरों का घरों में प्रवेश रुक जाता है।

मानसून का मौसम मच्छरों के पनपने के लिए मुफीद है, क्योंकि बरसात के दौरान घरों की छत से लेकर आस पास पानी इकठ्ठा होता है, जिनमें मच्छर पनपने लगते हैं। घर की छत पर जमा पानी में पैदा होने वाले मच्छर जहां डेंगू बुखार की वजह बनते हैं तो वहीं गंदे पानी में पनपने वाले मच्छर मलेरिया बुखार की। हालांकि मच्छरों की भरमार पर अंकुश लगाने के लिए मलेरिया विभाग तरह-तरह के जतन कर रहा है। इसमें फॉगिंग से लेकर एंटीलार्वा का छिड़काव कराने के साथ तालाबों में गम्बूसिया मछली तक डलवाई जाती हैं। इसके बावजूद साल दर साल मलेरिया और डेंगू बुखार जमकर कहर बरपाता है। मलेरिया विभाग के लोगों बताते हैं मच्छरों से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनें और घरों की बालकनी में गेंदा, तुलसी, रोजमेरी से लेकर सिट्रोनेला ग्रास लगाएं। यह पौधे मच्छरों को घर में घुसने नहीं देंगे। इन पौधों से घर का वातावरण भी शुद्ध रहेगा।

जिले में मलेरिया के मिल चुके 150 से अधिक मरीज
जिले में दिन पर दिन मलेरिया बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जून तक 150 से अधिक बुखार रोगियों में मलेरिया और 15 में डेंगू बुखार की पुष्टि हो चुकी है। मलेरिया विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि सभी लोग घरों में पौधे लगाते हैं। अगर इनमें तुलसी, गेंदा आदि पौधे लगाए जाएं तो मच्छर घर के आसपास नहीं भटकेंगे, क्योंकि इन पौधों की तेज सुगंध मच्छरों को पसंद नहीं होती है। इससे यह घरों में नहीं जा पाते हैं।

मच्छरों को घर से दूर रखने में कारगर हैं कुछ पौधे
पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज के प्रवक्ता आशुतोष प्रताप सिंह बताते हैं कि कई पौधे ऐसे हैं, जिसमें खासकर गेंदा, रोजमेरी, तुलसी एवं सिट्रोनेला घास मच्छरों को रोकने में कारगर हैं। इनमें सिट्रोनेला ग्रास से मच्छरों के लिए प्रयोग किए गए मच्छर रोधी ओडोमास, क्वाइल तैयार की जाती है। इन पौधों से निकलने वाली सुगंध मलेरिया और डेंगू के मच्छरों को पसंद नहीं होती है, इसलिए जिन घरों में यह पौधे लगे होते हैं, वहां पर मच्छरों के पनपने की संभावना कम रहती है।

पौधों की विशेषता
1. रोजमेरी: यह एक प्राकृतिक मॉस्किटो रिप्लीयन्ट है। इसके फूलों का रंग नीला होता है। इसकी तीखी गंध मच्छरों को दूर रखने में मदद करती है। इसकी सूखी पत्तियां जलाने से भी मच्छर भाग जाते हैं।
2. सिट्रोनेला ग्रास : सिट्रोनेला ग्रास मच्छरों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। यह दो मीटर तक बढ़ता है। सिट्रोनेला ग्रास डेंगू पैदा करने वाले एडीज एजिप्टी मच्छरों को भी घर से दूर रखने में कारगर है।
3. गेंदा : गेंदा के फूलों में पाई जाने वाली गंध मक्खी-मच्छरों को पसंद नहीं होती है। इसकी सुगंध सूंघने के बाद मच्छर वहां नहीं रुकते हैं। गेंदे के फूल न केवल मच्छरों को दूर भगाते हैं, बल्कि कुछ अन्य कीड़ों को भी दूर रखने में कारगर हैं।

4. तुलसी: हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा होती है। तुलसी का पौधा मॉस्किटो (मच्छर रोधी) पौधा है। तुलसी से उठने वाली खुशबू से मच्छर दूर भागते हैं।

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