लखनऊ : बाबा भदेश्वर नाथ शिव मंदिर में प्राचीन युद्धस्थल के अवशेष आज भी संरक्षित

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Published By Virendra Pandey
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बीकेटी, लखनऊ, अमृत विचार। बीकेटी के पूर्व दिशा में स्थित शिवपुरी गांव का ऐतिहासिक और पौराणिक श्री बाबा भदेश्वर नाथ शिव मंदिर सावन के पावन माह में श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यह मंदिर इतना प्राचीन है कि इसका उल्लेख शिवमहापुराण, स्कंदपुराण तथा रामचरितमानस जैसे ग्रंथों में भी मिलता है।

मान्यता के अनुसार, युद्ध के दौरान बाणासुर ने भगवान श्रीकृष्ण पर 108 फीट लंबी शिला का प्रहार किया, जिसे श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से खंडित कर दिया। इस शिला के अवशेष आज भी मंदिर परिसर, रणबाबा मंदिर और मुक्तेश्वर महादेव मंदिर देवरी रूखारा में देखे जा सकते हैं। जब युद्ध में श्रीकृष्ण ने बाणासुर की सहस्र भुजाओं को काटना शुरू किया और अंत में दो भुजाएं ही शेष बचीं, तब बाणासुर ने भगवान भोलेनाथ को पुकारा। भगवान शिव प्रकट हुए और सुदर्शन चक्र को रोक दिया। इसके बाद बाणासुर ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और अपनी पुत्री ऊषा का विवाह अनिरुद्ध से करने की सहमति दी।

रामविलास ने बताया कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और यहां दूर-दराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। भगवान भोलेनाथ सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रावण माह में मंदिर परिसर में भक्तों का भारी जनसैलाब उमड़ता है और वातावरण शिवमय हो उठता है। यह स्थल धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पुजारी गुरुप्रसाद ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष कजरी तीज के पावन अवसर पर भव्य मेले और विशाल दंगल का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे है। साथ ही अषाढ़ माह में विशाल भंडारे का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्री बाबा भदेश्वर नाथ ट्रस्ट के सदस्यों सहित ग्राम प्रधान और ट्रस्ट अध्यक्ष रामविलास, नवल किशोर, अनूप यादव, अंकित, रामप्रकाश आदि ने भाग लिया।

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