बदायूं: डीएम के आदेश के बाद भी खाली नहीं हटे कब्जेदार...सीएमएस ने झाड़े हाथ

Amrit Vichar Network
Published By Monis Khan
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बदायूं, अमृत विचार। जिला महिला अस्पताल में सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना हो रही है। जिले में सरकारी तंत्र की पकड़ भी कमजोर हो चुकी है। हालत यह है कि डीएम के आदेश को पालन कराने में सीएमएस तक ने हाथ खड़े कर दिए। 

संविदा कर्मचारियों द्वारा जर्जर सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए रखने के मामले में डीएम के आदेश और लगातार नोटिस देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। हालात ऐसे हैं कि जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. इंदु कांत वर्मा ने खुद को असहाय बताते हुए आवास खाली कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि अब कुछ नहीं हो सकता, जो भी नया सीएमएस आएगा, वही इस मामले को देखेगा।

यह स्थिति तब है जब जिला अधिकारी ने खुद सीएमएस को पत्र भेजकर कब्जा हटाकर सरकारी कर्मचारियों को आवास उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद सीएमएस स्तर पर कार्रवाई ठंडी पड़ गई है। संविदा कर्मी बेखौफ हैं और प्रशासनिक आदेश मजाक बनकर रह गए हैं। महिला अस्पताल परिसर में बने दर्जनों सरकारी आवास जर्जर हालत में हैं। इन्हीं खस्ताहाल भवनों में चार संविदा कर्मचारियों ने कब्जा कर रखा है। अस्पताल प्रशासन की ओर से बार-बार नोटिस दिए जाने और डीएम के आदेशों के बाद भी इन कर्मियों ने आवास खाली नहीं किए। जबकि इन आवासों की जरूरत नियमित सरकारी कर्मचारियों को है, जो मजबूरी में शहर में किराए के मकानों में रह रहे हैं।

कभी भी गिर सकते हैं आवास, जान जोखिम में डालकर रह रहे कब्जेदार
जिला महिला अस्पताल के सरकारी आवासों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि वे कभी भी गिर सकते हैं। भवनों की दीवारें दरक चुकी हैं और छतें भी जगह-जगह से कमजोर हो चुकी हैं। कई कर्मचारियों ने निजी खर्चे से मामूली मरम्मत जरूर कराई है, मगर खतरा अब भी बना हुआ है। इसके बावजूद संविदा कर्मी जान जोखिम में डालकर इन आवासों में रह रहे हैं।

जिला महिला अस्पताल सीएमएस डॉ. इंदु कांत वर्मा ने बताया कि चार संविदा कर्मचारी लंबे समय से सरकारी आवासों में रह रहे हैं। डीएम के आदेश और कई बार नोटिस देने के बावजूद उन्होंने मकान खाली नहीं किए। अब इस मामले में कुछ नहीं कहा जा सकता है। जो यहां नया सीएमएस बनेगा, वही देखेगा।

 

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